आने वाला कल (जरूर पढ़े)
एक बार मैं अपने अंकल के साथ एक बैंक में गया, क्यूँकि उन्हें कुछ पैसा कही ट्रान्सफ़र करना था।
ये स्टेट बैंक एक छोटे से क़स्बे के छोटे से इलाक़े में था। वहां एक घंटे बिताने के बाद जब हम वहां से निकले तो उन्हें पूछने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।
अंकल क्यूँ ना हम घर पर ही इंटर्नेट बैंकिंग चालू कर ले?
अंकल ने कहा ऐसा मैं क्यूँ करूँ ?
तो मैंने कहा कि अब छोटे छोटे ट्रान्सफ़र के लिए बैंक आने की और एक घंटा टाइम ख़राब करने की ज़रूरत नहीं, और आप जब चाहे तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज़ बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए।
इस पर उन्होंने पूछा ....अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी?
मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?
मैंने उत्सुकतावश कहा, हाँ आपको कही जाने की जरुरत नही पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवरी हो जाएगा और ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सबकुछ घर पे ही डिलिवरी करते हैं।
उन्होने इस बात पे जो जवाब मुझे दिया उसने मेरी बोलती बंद कर दी।
उन्होंने कहा आज सुबह जब से मैं इस बैंक में आया, मै अपने चार मित्रों से मिला और मैंने उन कर्मचारियों से बातें भी की जो मुझे जानते हैं।
मेरे बच्चें दूसरे शहर में नौकरी करते है और कभी कभार ही मुझसे मिलने आते जाते हैं, पर आज ये वो लोग हैं जिनका साथ मुझे चाहिए। मैं अपने आप को तैयार कर के बैंक में आना पसंद करता हुँ, यहाँ जो अपनापन मुझे मिलता है उसके लिए ही मैं वक़्त निकालता हूँ।
दो साल पहले की बात है मैं बहुत बीमार हो गया था। जिस मोबाइल दुकानदार से मैं रीचार्ज करवाता हूं, वो मुझे देखने आया और मेरे पास बैठ कर मुझसे सहानुभूति जताई और उसने मुझसे कहा कि मैं आपकी किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हूँ।
वो आदमी जो हर महीने मेरे घर आकर मेरे यूटिलिटी बिल्स ले जाकर ख़ुद से भर आता था, जिसके बदले मैं उसे थोड़े बहुत पैसे दे देता था उस आदमी के लिए कमाई का यही एक ज़रिया था और उसे ख़ुद को रिटायरमेंट के बाद व्यस्त रखने का तरीक़ा भी !
कुछ दिन पहले मोर्निंग वॉक करते वक़्त अचानक मेरी पत्नी गिर पड़ी, मेरे किराने वाले दुकानदार की नज़र उस पर गई, उसने तुरंत अपनी कार में डाल कर उसको घर पहुँचाया क्यूँकि वो जानता था कि वो कहा रहती हैं।
अगर सारी चीज़ें ऑन लाइन ही हो गई तो मानवता, अपनापन, रिश्ते - नाते सब ख़त्म ही नही हो जाएँगे !
मैं हर वस्तु अपने घर पर ही क्यूँ मँगाऊँ ?
मैं अपने आपको सिर्फ़ अपने कम्प्यूटर से ही बातें करने में क्यूँ झोंकू ?
मैं उन लोगों को जानना चाहता हूँ जिनके साथ मेरा लेन-देन का व्यवहार है, जो कि मेरी निगाहों में सिर्फ़ दुकानदार नहीं हैं।
इससे हमारे बीच एक रिश्ता, एक बन्धन क़ायम होता है !
क्या ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट या स्नैपडील ये रिश्ते-नाते , प्यार, अपनापन भी दे पाएँगे ?
फिर उन्होने बड़े पते की एक बात कही जो मुझे बहुत ही विचारणीय लगी, आशा हैं आप भी इस पर चिंतन करेंगे........
उन्होने कहां कि ये घर बैठे सामान मंगवाने की सुविधा देने वाला व्यापार उन देशों मे फलता फूलता हैं जहां आबादी कम हैं और लेबर काफी मंहगी है।
भारत जैसे १२५ करोड़ की आबादी वाले गरीब एंव मध्यम वर्गीय बहुल देश मे इन सुविधाओं को बढ़ावा देना आज तो नया होने के कारण अच्छा लग सकता हैं पर इसके दूरगामी प्रभाव बहुत ज्यादा नुकसानदायक होंगे।
देश मे ८०% जो व्यापार छोटे छोटे दुकानदार गली मोहल्लों मे कर रहे हैं वे सब बंद हो जायेगे और बेरोजगारी अपने चरम सीमा पर पहुंच जायेगी। तो अधिकतर व्यापार कुछ गिने चुने लोगों के हाथों मे चला जायेगा हमारी आदते ख़राब और शरीर इतना आलसी हो जायेगा की बहार जाकर कुछ खरीदने का मन नहीं करेगा।
जब ज्यादातर धन्धे व् दुकाने ही बंद हो जायेंगी तो रेट कहाँ से टकराएँगे तब..... ये ही कंपनिया जो अभी सस्ता माल दे रही है वो ही फिर मनमानी किम्मत हमसे वसूल करेगी। हमे मजबूर होकर सबकुछ ओनलाइन पर ही खरीदना पड़ेगा।और ज्यादातर जनता बेकारी की ओर अग्रसर हो जायेगी।
मैं आजतक उनको क्या जबाब दूं ये नही समझ पाया हूं,.....
प्रिय मित्रों, अगर आप इन बातों से सहमत हैं तो इस मेसिज को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और अपने दूसरे जानने वालो के ग्रूप्स में भी शेयर करे
🙏👍🙏
Tomorrow (Must Read)
Once, I went to a bank with my uncle, because he had to transfer some money.
This State Bank was in a small area of a small town. After spending an hour there, when we got out of there, I did not stop myself from asking them.
Uncle, why do we start internet banking at home?
Uncle said why should I do this?
So I said that now there is no need to come to the bank for small small transfers and one hour time, and you can also do your own shopping online at home whenever you want. Everything will be very easy I was very curious to tell them in detail about the net banking world.
He asked ... if I do this, will not I have to leave the house?
I do not even need to go to the bank?
I said eagerly, yes you will not need to go anywhere and you will be delivering groceries as well as sitting at home, and all of Amjon, Flipkart and Snapdeal deliver at home only.
The reply that he gave me to this point stopped my speaking.
He said since this morning when I came to this bank, I met my four friends and I also spoke to those employees who knew me.
My children work in another city and rarely visit to meet me, but today these are the people with whom I want. I like to prepare myself and come to the bank, I take the time to get the recognition I get here.
It was two years ago that I was very sick. The mobile shopkeeper whom I recharged, came to see me and sat down to sympathize me and told me that I am ready to help you in any way.
The man who came to my house every month and took my utility bills and filled himself with me, in exchange for which I used to give him a lot of money, that was the only way of earning for that man and how to keep him busy after retirement. as well !
While walking the morning walk, suddenly my wife fell, the look of my grocery shopkeeper went to her, she immediately put her in the car and brought her to the house because she knew that she kept saying.
If all things happen on-line then humanity, identity, relationships - relationships will not end!
Why should I eat everything at my house?
Why do not I just talk to myself from my computer?
I want to know those people with whom I have a transaction, which are not just shopkeepers in my eyes.
This is a relationship between us, a fastening rule!
Will Amazon, Flipkart or Snapdeal also be able to give relationships, love, identity?
Then he said a word of big address which I thought was very thoughtful, you will also contemplate it ....
Where do the business facilitating these home-based items grow in countries where the population is low and labor is very expensive?
Promoting these facilities in the poorer and middle-aged country, which has a population of 125 crores like India, can be good now because of being new, but its far-reaching effects can be very harmful.
80% of the business in the country, small shopkeepers, will be closed in all the streets and unemployment will reach its peak. Most of the business will go to the hands of a handful of people. Our habits will be bad and the body will become so lazy that going outside will not mind buying anything.
When most of the temples and shops are closed, then when the rate will collide, these companies, which are giving the cheapest things, will reap the arbitrary deduction. We will be forced to buy everything online. And most of the public will be heading towards unemployment.
I have not understood what I am giving them today, .....
Dear friends, if you agree with these things, then share this message with your friends and relatives and other groups of other people.
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