में सोच रहा था तम्हारे बारे में ,जब हम मिले थे याद है ?
देखकर नज़रें चुरा रहे थे , क्या वो चेहरा याद है ?
शुरू हुआ वो सफर परिभाषाएं बदलती गयीं ,
जो दूरियां थी , मोम की तरह पिघलती गयीं |
आये थे दो अलग किनारों से ,
अलग देशों से ,अलग नज़ारों से ..
जब बातें शुरू हुई तो महफ़िलें जमती गयीं ...
शुरू हुयी फिर हमारी दोस्ती ,क्या वो माहौल याद है ?
कोहिनूर की तरह चमकने लगी हमारी यारी ,
हमारे आपसी सम्बन्ध पड़े सब पर भारी
जब वो नाता जुड़ा , तो बढ़ गयीं थी ज़िम्मेदारी
फिर साथ कदम बढ़ाये , तो मंज़िलें मिलती गयीं ..
सुन्दर गुलाब की तरह , दोस्ती की कलियाँ खिलती गयीं .
जो कसमें खायीं थी , आज भी मुझे याद है ,
मुशीबत में फंस जाने पर दोस्त तेरी ही फ़रियाद है .
वो दोस्ती का मिज़ाज आज भी मुझे याद है ,
जब हम मिले थे , क्या वो तारीख तुझे याद है ?
Nippranshi Jain (MBA Entrepreneurship)
Social Media Intern
Alfa Bloggers Group
Nidhi Jain
General Manager Operations
Alfa Bloggers Group
Nidhi@AlfaBloggers.com
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