सुन रही थी में ,
दो लोगों की बातें,
पहला बोला ,यार कैसा है ?
बहुत याद आती है वो मुलाकातें ..
मुस्कुराकर दूसरे ने कहा ,
हाँ बहुत खूबसूरत पल थे ,
कितने हसींन हमारे कल थे |
ऐसे कुछ किस्से सुनाये ,
कुछ कारनामे दोहराये ,
कुछ पुराने गाने गाये ,
दोनों ,उन पुराने दिनों में वापस लौट आये |
देखा जब मैंने झांककर ,
तो बड़ा आश्चर्य हुआ ,
मझे लगा वो साथ है ,
वो तो एक बच्चा टेप कि रिकॉर्डिंग सुन रहा |
सुनते -सुनते ,बच्चे की आँखों में आंसू भर आये ,
वो द्रस्य ऐसा था कि,
वो देखकर मेरे रोंगटे निकल आये |
पहले दोस्त ने कहा ,
भाई ,अब मेरा वक़्त पूरा हुआ ,
मैंने तम्हे मेरा जीवन दिया ,
ख़याल रखना अब ,मेरे परिवार का ..
मैंने दोस्ती का वादा पूरा किया ,
कभी महसूस न हो उन्हें ,
कि ,इस दोस्ती के कारण मैंने उनको छोड़ दिया|
मेरे दोस्त ,मुझे नाज़ है तुझपर ,
ज़िन्दगी के आखरी पलों में तूने मेरा साथ दिया ..
अब तुम अपने कर्तब्यों को पूरा करना ,
मेरे अपनों को ,मेरे सपनो को साथ लेकर चलना ..
और ,हमारी इस आखरी मुलाकात को भी संझोकर रखना ,
दुनिया में जब अन्धकार हो , ये रिश्ता काम आएगा ,
याद रखना ,
कभी भुझ न पाए हमारी दोस्ती का दिया ..
हमारा अनोखा रिश्ता ,
“दोस्ती एक ऐश्वर्य” ,इस नाम से जाना जायेगा |
Nippranshi Jain ( MBA Entrepreneurship )
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