हनुमानजी के 9 रहस्य ......
हनुमानजी के रहस्य ......
हिन्दुओं के प्रमुख देवता हनुमानजी के बारे में कई रहस्य जो अभी तक छिपे हुए हैं। शास्त्रों अनुसार हनुमानजी इस धरती पर एक कल्प तक सशरीर रहेंगे।
1. हनुमानजी का जन्म स्थान :
कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा मानते हैं। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है जिसके निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था।
हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। हनुमान का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था।
2.कल्प के अंत तक सशरीर रहेंगे हनुमानजी :
इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। श्रीराम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे। इसी वरदान के चलते द्वापर युग में हनुमानजी भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते हैं। कलियुग में वे तुलसीदासजी को दर्शन देते हैं।
ये वचन हनुमानजी ने ही तुलसीदासजी से कहे थे-
'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर।
तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।'
श्रीमद् भागवत अनुसार हनुमानजी
कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।
3.कपि नामक वानर :
हनुमानजी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। रामायणादि ग्रंथों में हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे।
रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है। अत: सिद्ध होता है कि वे जाति से वानर थे।
4. हनुमान परिवार :
हनुमानजी की माता का अंजनी पूर्वजन्म में पुंजिकस्थला नामक अप्सरा थीं। उनके पिता का नाम कपिराज केसरी था। ब्रह्मांडपुराण अनुसार हनुमानजी सबसे बड़े भाई हैं। उनके बाद मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान थे।
कहते हैं कि जब वर्षों तक केसरी से अंजना को कोई पुत्र नहीं हुआ तो पवनदेव के आशिर्वाद से उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ। इसीलिए हनुमानजी को पवनपुत्र भी कहते हैं। कुंति पुत्र भीम भी पवनपुत्र हैं। हनुमानजी रुद्रावतार हैं।
पराशर संहिता अनुसार सूर्यदेव की शिक्षा देने की शर्त अनुसार हनुमानजी को सुवर्चला नामक स्त्री से विवाह करना पड़ा था।
5. इन बाधाओं से बचाते हैं हनुमानजी :
रोग और शोक, भूत-पिशाच, शनि, राहु-केतु और अन्य ग्रह बाधा, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, पितृदोष, कर्ज, संताप, बेरोजगारी, तनाव या चिंता, शत्रु बाधा, मायावी जाल आदि से हनुमानजी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
6. हनुमानजी के पराक्रम :
हनुमान सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वत्र हैं। बचपन में उन्होंने सूर्य को निकल लिया था। एक ही छलांक में वे समुद्र लांघ गए थे। उन्होंने समुद्र में राक्षसी माया का वध किया। लंका में घुसते ही उन्होंने लंकिनी और अन्य राक्षसों के वध कर दिया।
अशोक वाटिका को उजाड़कर अक्षय कुमार का वध कर दिया। जब उनकी पूछ में आग लगाई गई तो उन्हों लंका जला दी। उन्होंने सीता को अंगुठी दी, विभिषण को राम से मिलाया। हिमालय से एक पहाड़ उठाकर ले आए और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की।
इस बीच उन्होंने कालनेमि राक्षस का वध कर दिया। पाताल लोक में जाकर राम-लक्ष्मण को छुड़ाया और अहिरावण का वध किया। उन्होंने सत्यभामा, गरूढ़, सुदर्शन, भीम और अर्जुन का घमंड चूर चूर कर दिया था।
हनुमानजी के ऐसे सैंकड़ों पराक्रम हैं।
7.हनुमाजी पर लिखे गए ग्रंथ :
तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक, हनुमान साठिका, संकटमोचन हनुमानाष्टक, आदि अनेक स्तोत्र लिखे। तुलसीदासजी के पहले भी कई संतों और साधुओं ने हनुमानजी की श्रद्धा में स्तुति लिखी है।
इंद्रादि देवताओं के बाद हनुमानजी पर विभीषण ने हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना की। समर्थ रामदास द्वारा मारुती स्तोत्र रचा गया। आनंद रामायण में हनुमान स्तुति एवं उनके द्वादश नाम मिलते हैं। इसके अलावा कालांतर में उन पर हजारों वंदना, प्रार्थना, स्त्रोत, स्तुति, मंत्र, भजन लिखे गए हैं। गुरु गोरखनाथ ने उन पर साबर मंत्रों की रचना की है।
8. माता जगदम्बा के सेवक हनुमानजी :
रामभक्त हनुमानजी माता जगदम्बा के सेवक भी हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी पीछे-पीछे। माता के देशभर में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरव के मंदिर जरूर होते हैं। हनुमानजी की खड़ी मुद्रा में और भैरवजी की मुंड मुद्रा में प्रतिमा होती है। कुछ लोग उनकी यह कहानी माता वैष्णोदेवी से जोड़कर देखते हैं।
9. सर्वशक्तिमान हनुमानजी :
हनुमानजी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। ब्रह्मदेव ने हनुमानजी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र बेअसर होना भी शामिल था, जो अशोकवाटिका में काम आया।
सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं। जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी, महेश के पास पार्वती और ब्रह्मा के पास सरस्वती। हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमानजी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती।
10. इन्होंने देखा हनुमानजी को :
13वीं शताब्दी में माध्वाचार्य, 16वीं शताब्दी में तुलसीदास, 17वीं शताब्दी में रामदास, राघवेन्द्र स्वामी और 20वीं शताब्दी में स्वामी रामदास हनुमान को देखने का दावा करते हैं। हनुमानजी त्रेता में श्रीराम, द्वापर में श्रीकृष्ण और अर्जुन और कलिकाल में रामभक्तों की सहायता करते हैं।
9 Big Secrets of Bajrangnali or Hanuman Ji ......
Many mysteries about Hanumanji, the chief deity of Hindus, which are still hidden. According to the scriptures, Hanumanji will be a bodyguard for this purpose.
1. Place of birth of Hanumanji:
The village Anegundi, near the village of Hampi, in Kopal district of Karnataka, is considered to be Ramayana Kishenda. On crossing the Tungabhadra river, there is the Panda Sarovar on the way while going to AneGundi. There is a Shabari cave in a mountain situated here, near which the Guru of Shabari was famous as 'Matangvan' on the name of Matang Rishi.
Hill near Rishimuk's Ram Mandir in Hampi is still known as Matang Mountains. It is said that Hanumanji was born in the Ashram of Matunga Rishi. Hanuman was born before Shriram was born Lord Shriram was born in Ayodhya 5114 BC. Hanuman was born on the day of Shukla full moon of Chaitra month.
2. Hanumanji will remain a man by the end of the project:
Indra got the boon of death for him. According to the blessing of Shriram, the end of Kalpana will get his son-in-law. According to the boon of Sita Mata, they will remain mortal. Because of this same boon, Hanumanji takes the examination of Bhima and Arjuna in Dwapar era. In Kaliyug, they give a glimpse to Tulsidasji.
Hanumanji had said this to Tulsidasji-
'Chitrakoot Ghat Pai, Bhai Sanatan Ke Bair
Tulsidas Chandan Ghisai, Tilak Giving Raghubir .. '
According to Mr Bhagwat, Hanumanji
In Kaliyug, on the Gandhamdan mountain they reside.
3.Appe named:
Hanuman was born into ape tribe called Kapi. In the Ramayana texts, the adjective used in the name of 'Hanumanji' and his native brother Sugriva Angadadi, 'Apar, Kapi, Bramrig, Plavangam' etc were used. It is evident from his caudal, langool, baldy and lama that he was ape.
In the Ramayana, where Valmikiji has manifested him as a special pundit, Dhurandhar and Veer-Shiromani in politics, he has also expressed his face and foreskin in the hundreds of proofs. Hence it proves that he was ape from the caste.
4. Hanuman family:
Hanumanji's mother had a nymph named Punjikasthla in Anjani progeny. His father's name was Kapiraj Kesari. According to cosmology, Hanuman is the eldest brother. After them, the sound, the Shruthiman, the Ketu, the moving, the Dhritimman were.
It is said that when Anjana had no son from Kesari for years, she received the son from the blessings of Pavanadeva. That is why Hanumanaji is also called Pawanpura. Kunti's son Bhima is also a PawanPutra. Hanumanji is Radarvataar.
According to the Parashar code, Hanumanji had to marry a woman named Suwarchala, according to the condition of giving birth to the sun god.
5. Save Hanumanji from these obstacles:
Disease and bereavement, ghost-vampire, saturn, rahu-ketu and other obstacles, court-shield-prison bondage, killing-hypnotism-elimination, avoiding accident-related accidents, mangal defects, patriotism, debt, rage, unemployment, stress or Hanumanji protects his devotees from anxiety, enemy hindrance, illusional traps etc.
6. The Power of Hanumanji:
Hanuman is omnipresent, omniscient and universal. In childhood, he left the sun. In the same trick, they went to the sea crossing They killed the demonic Maya in the sea. As he entered Lanka, he killed Lankini and other demons.
Ashok Bhatika was killed and Akshay Kumar was killed. When their inquiries were set on fire, they burnt lanka. He gave the ring to Sita, the separation was mixed with Ram. Taking a mountain from the Himalayas and protecting Lakshman's life.
Meanwhile, he killed the Carnelie monster. He went to Patala Lok and rescued Ram-Lakshman and killed Ahiravana. He shattered Satyabhama, Garud, Sudarshan, Bhima and Arjuna.
Hanumanji has such hundreds of feats
7. Texts written on Hanumaji:
Tulsidasji wrote many poems like Hanuman Chalisa, Bajrang Baan, Hanuman Bhauk, Hanuman Rasika, Sanktomokhan Hanumanathak, etc. Even before Tulsidasji, many saints and sadhus have praised Hanumanji in praise.
After Indradei Deities, Vibhishanan on Hanumanji composed the Hanuman Vedavnal Swatra. Maruti Stotra was created by Samarth Ramdas. Anand Ramayana receives Hanuman Prahti and his name Dwashash. Apart from this, thousands of Vandana, Prayer, Sources, Praises, Mantras, Bhajans have been written on them. Guru Gorakhnath has composed suber mantras on them.
8. Hanumanji, the servant of Mother Jagadamba:
Rambhakt Hanumanji Mata is also the servant of Jagadamba. Hanumanji walks ahead of Mata and Bhairavji is back and forth. The temple of Hanumanji and Bhairav are surely surrounded by the temple of Mother across the country. There is a statue in Hanuman's steep posture and Bhairavji's Munda Mudra. Some people see this story linking with Mata Vaishno Devi.
9. Almighty Hanumanji:
Hanumanji had many varied powers, but he was also powerful even of the Varadani Powers. Brahma had given three boons to Hanumanji, in which he was also involved in neutralizing Brahmastra, who came to work in Ashokvatika.
All the gods have their own powers. Like Lakshmi near Vishnu, Parvati near Mahesh and Saraswati near Brahma Hanuman has his own power. If there is any power after God in this universe then it is Hanumanji. Mahavir Vikram Bajrangbali can not wait any kind of quenching power.
10. He saw Hanumanji:
Madhavacharya in the 13th century, Tulsidas in the 16th century, Ramdas, Raghavendra Swami and 20th in the 17th century.
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