खिजाब, अपने बालों पे न लगाया करो
तुजुर्बे की चांदी यूँ ही न छिपाया करो
उम्र का हिसाब लगाते क्यों हो परेशां ?
जब जी चाहे , बच्चा बन जाया करो
कब तक रहोगे तमाम सलीको के गुलाम
गुसलखाने को छोड़, खुले में नहाया करो
फिर ना कहना ,के शौक अधूरे रहे
हमारी महफ़िल में आया-जाया करो
अगर लगा दे कोई बिगड़ जाने का इलज़ाम
उससे नज़रे मिला, कहकहे लगाया करो
वक्त भला कब मेरे तेरे लिए रुका ?
जो है पास ,उसी का जश्न मनाया करो😊😊
तुजुर्बे की चांदी यूँ ही न छिपाया करो
उम्र का हिसाब लगाते क्यों हो परेशां ?
जब जी चाहे , बच्चा बन जाया करो
कब तक रहोगे तमाम सलीको के गुलाम
गुसलखाने को छोड़, खुले में नहाया करो
फिर ना कहना ,के शौक अधूरे रहे
हमारी महफ़िल में आया-जाया करो
अगर लगा दे कोई बिगड़ जाने का इलज़ाम
उससे नज़रे मिला, कहकहे लगाया करो
वक्त भला कब मेरे तेरे लिए रुका ?
जो है पास ,उसी का जश्न मनाया करो😊😊
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