ओ टी पी फ्राड का एक विचित्र मामला
कल शाम को एक काल (call) आई, कोई लड़की थी,
बोली," सर, मैं जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन कर रही थी । गलती से आपका नम्बर डाल दिया है, क्योकि मेरे और आपके मोबाइल नंबर में काफी समानता है । आपके पास थोड़ी देर में एक ओटीपी (OTP) आएगी, प्लीज बता दो सर, मेरी ज़िन्दगी का सवाल है।"
चूँकि बात बिल्कुल सही लग रही थी, मैनें मोबाइल इनबॉक्स (inbox) चेक किया, दो मैसेज (message) आए हुए थे। एक पर ओटीपी था, दूसरा एक मोबाइल से आया मैसेज। लिखा था; "dear सर, आपके पास जो ओटीपी आयी है, प्लीज इस नंबर पर भेज दीजिये...Thanks in advance."
मैं मैसेज देख ही रहा था कि फोन दोबारा आया...मैनें ओके क्लिक किया। वही सुमधुर आवाज। बस नंबर दूसरा था। "सर, आपने देखा होगा अब तक ओटीपी आ गयी होगी । या तो बता दो या फारवर्ड कर दो उस नंबर पर...प्लीज..."
"मैं बोला, "बता दूंगा, पर आप पहले एक काम करो.."
"हाँ सर...बोलिए.."
"जो नंबर आपने रजिस्ट्रेशन में डाला है, वो मेरा नम्बर है और उसी से मिलता-जुलता नम्बर आपके पास भी है, तभी आपसे ये गलती हुई, है न?"
"हाँ सर.."
"ओके, उसी नम्बर से मुझे आप कॉल करो, ताकि मैं वेरीफाई (verify) कर सकूँ कि आप सही हो.."
"वो क्या है सर, उस नम्बर में बैलेंस नही है। सर...एक लड़की की बात पर आपको भरोसा नही...?"
"बात लड़की, लड़के और भरोसे की नही है। मैं आपको नही जानता, तो फिर बिना जांचे-परखे कैसे भरोसा कर लूँ..."
"तो फिर रहने दीजिए...आप जैसे दुष्ट लोगों की वजह से ही आज मानवता से लोगों का भरोसा उठ गया है ।"
एक-दो गालियों के साथ उस सुमधुर कर्कशा ने फोन काट दिया।
...
मन भारी हो गया था। यह सोचने लगा कि शायद मैं ज्यादा अविश्वासी, अमानवीय और टेक्निकल होता जा रहा हूँ । दोबारा से उस नम्बर को डायल करके ओटीपी बताने के लिए फ़ोन उठाया । तभी मेरे बैंक का ईमेल का नोटिफिकेशन स्क्रीन पर फ़्लैश हुआ । बैंक का नोटिफिकेशन था, देखना जरूरी था। लिखा था;
Dear Sir/Madam,
You are trying to change your internet banking password, click the link below...
मैं सन्न रह गया... मानवता के नाम पर भी इतनी ठगबाज़ी... धोखेबाज़ी...
मन गुस्से से भर उठा, रीडायल किया, लड़ाई के मूड में...
उधर से जवाब आ रहा था;
The customer, you are trying to reach is not available...
ख़ुद सावधान रहें-औरों को सचेत करें
कल शाम को एक काल (call) आई, कोई लड़की थी,
बोली," सर, मैं जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन कर रही थी । गलती से आपका नम्बर डाल दिया है, क्योकि मेरे और आपके मोबाइल नंबर में काफी समानता है । आपके पास थोड़ी देर में एक ओटीपी (OTP) आएगी, प्लीज बता दो सर, मेरी ज़िन्दगी का सवाल है।"
चूँकि बात बिल्कुल सही लग रही थी, मैनें मोबाइल इनबॉक्स (inbox) चेक किया, दो मैसेज (message) आए हुए थे। एक पर ओटीपी था, दूसरा एक मोबाइल से आया मैसेज। लिखा था; "dear सर, आपके पास जो ओटीपी आयी है, प्लीज इस नंबर पर भेज दीजिये...Thanks in advance."
मैं मैसेज देख ही रहा था कि फोन दोबारा आया...मैनें ओके क्लिक किया। वही सुमधुर आवाज। बस नंबर दूसरा था। "सर, आपने देखा होगा अब तक ओटीपी आ गयी होगी । या तो बता दो या फारवर्ड कर दो उस नंबर पर...प्लीज..."
"मैं बोला, "बता दूंगा, पर आप पहले एक काम करो.."
"हाँ सर...बोलिए.."
"जो नंबर आपने रजिस्ट्रेशन में डाला है, वो मेरा नम्बर है और उसी से मिलता-जुलता नम्बर आपके पास भी है, तभी आपसे ये गलती हुई, है न?"
"हाँ सर.."
"ओके, उसी नम्बर से मुझे आप कॉल करो, ताकि मैं वेरीफाई (verify) कर सकूँ कि आप सही हो.."
"वो क्या है सर, उस नम्बर में बैलेंस नही है। सर...एक लड़की की बात पर आपको भरोसा नही...?"
"बात लड़की, लड़के और भरोसे की नही है। मैं आपको नही जानता, तो फिर बिना जांचे-परखे कैसे भरोसा कर लूँ..."
"तो फिर रहने दीजिए...आप जैसे दुष्ट लोगों की वजह से ही आज मानवता से लोगों का भरोसा उठ गया है ।"
एक-दो गालियों के साथ उस सुमधुर कर्कशा ने फोन काट दिया।
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मन भारी हो गया था। यह सोचने लगा कि शायद मैं ज्यादा अविश्वासी, अमानवीय और टेक्निकल होता जा रहा हूँ । दोबारा से उस नम्बर को डायल करके ओटीपी बताने के लिए फ़ोन उठाया । तभी मेरे बैंक का ईमेल का नोटिफिकेशन स्क्रीन पर फ़्लैश हुआ । बैंक का नोटिफिकेशन था, देखना जरूरी था। लिखा था;
Dear Sir/Madam,
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मैं सन्न रह गया... मानवता के नाम पर भी इतनी ठगबाज़ी... धोखेबाज़ी...
मन गुस्से से भर उठा, रीडायल किया, लड़ाई के मूड में...
उधर से जवाब आ रहा था;
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ख़ुद सावधान रहें-औरों को सचेत करें
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