आर्थिक संकट में भारत देश!
वैसे भेड़ों को क्या करना है!
उनको तो मुफ्त में डाटा
ओर
तपती धूप और ठंड में बाप का कमाया फोगट का आटा जो मिल रहा है।
https://www.anxietyattak.com/2019/08/india-in-economic-crisis.html
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के कुछ पहलू होते है, कुछ क्षेत्र होते है जो जीडीपी की दशा व दिशा तय करते है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो मैनुफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर जीडीपी के मुख्य स्तंभ है। कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला ऑटोमोबाइल सेक्टर है। संगठित रोजगार देने में ऑटोमोबाइल सेक्टर सबसे बड़ा क्षेत्र है व संगठित रोजगार देने वाला रियल एस्टेट सबसे बड़ा है।
भारत की आर्थिक तरक्की व गिरावट को देखना है तो हमे निम्न क्षेत्रों पर सरसरी नजर डाल लेनी चाहिए।
1. बैंकिंग सेक्टर- बैंकिंग सेक्टर बेतरतीब दिए कर्ज व घोटालों के कारण आर्थिक संकट में फंस गया है। मार्च 2014 में बैंकों का एनपीए 2.25 लाख करोड़ रुपये था जो 5 साल अर्थात अप्रैल 2019 में तकरीबन 8 गुना बढ़कर 9.49 लाख करोड़ रुपये हो गया!
एक तरफ मोदी सरकार में लुटेरे बैंकों के पैसे लेकर विदेश भाग रहे थे तो दूसरी तरफ सत्ता की नजदीकियों का फायदा उठाकर कुल असेट से भी ज्यादा कर्ज ले रहे थे। अडानी ग्रुप की कुल परिसंपत्तियों की वैल्यू 65 हजार करोड़ रुपये थी उस समय उसको 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे दिया गया!
सरकार ने आरबीआई की रिज़र्व पूंजी निकाल ली और देश की आवाम का 200 टन के करीब गोल्ड स्विस बैंकों में में गिरवी रख दिया! कुल मिलाकर बैंकिंग सेक्टर रोजगार पैदा करने के बजाय खुद की आबरू समेटने का प्रयास कर रहा है।
2. रियल एस्टेट- खेती छोड़कर जो लोग दूसरी जगह रोजगार के लिए निकलते थे उनके लिए सबसे बड़ा आशियाना रियल एस्टेट सेक्टर हुआ करता था।कुशल-अकुशल, इंजीनियर, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, प्लम्बर से लेकर उद्योगपत्ति तक इस पेशे में लगे हुए थे। बैंकिंग व रियल एस्टेट सेक्टर एक-दूसरे के पूरक बनकर चल रहे थे।
शुरुआती नीतियों की अनिश्चितता को लेकर रियल एस्टेट वेट एंड वाच की मुद्रा में खड़ा था मगर नोटबन्दी ने ऐसा झटका दिया कि बिल्डर पानी की बोतलें बेचने लग गए और लाखों मजदूर बेरोजगार होकर शहरों से गांवों की तरफ लौट गए।
जैसे तैसे नोटबन्दी की मार से उभरने के प्रयास में लगा हुआ था कि अनाड़ियों के झुंड ने जीएसटी इस तरह थोपा कि सीमेंट, कंक्रीट, सरिये से लेकर बेचने वाले व खरीदने वाले अर्थात पूरी श्रृंखला ही लपेटे में आ गई! हालात यह हो गई कि नए बनना तो दूर बने बनाये 12 लाख से ज्यादा मकान खरीददारों के इंतजार में पड़े है!
जब तक यह समझ मे आया कि रियल एस्टेट क्यों डूब रहा है और जीएसटी हटाई तब तक चुनाव आ गए और दूसरी तरफ आम्रपाली व यूनिटेक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया कि निवेशकों को सरकार खुद अपने हाथ मे लेकर मकान बनाकर दें!कुल मिलाकर रियल एस्टेट सेक्टर पर पांच साल से तालाबंदी है!
3. ऑटोमोबाइल सेक्टर- संगठित रोजगार के क्षेत्र में ऑटोमोबाइल सेक्टर व इनसे परस्पर जुड़े धंधे कुल संगठित क्षेत्र का 40% है। इसी साल अप्रैल से जुलाई तक 3.5 लाख लोग रोजगार गंवा चुके है और संभावना है कि मार्च 2020 तक 10 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा जो आगे चलकर कावड़ वाली हांडी ढोने या हज करने लायक भी नहीं बचेंगे। पिछले 18 महीनों में 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हो चुके है।
जुलाई में मारुति की 33.5%, महिंद्रा की 15%, हुंडई की 10%, टोयटा की 24%, हौंडा की 48.67% बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। कुल मिलाकर हर तरह के वाहनों में 12.35% बिक्री घटी है! टाटा मोटर्स की जमशेदपुर इकाई बंद कर दी गई व 1000 आनुषंगिक कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो गई है!
ऑटोमोबाइल कंपनियों से जुड़े लोग दिल्ली के मावलंकर हॉल में मीटिंग करने जा रहे है और सरकार से मांग करेंगे जीएसटी में कमी करे, वाहन रजिस्ट्रेशन फीस की बढ़ोतरी वापिस ले व जब दुनियाँ में कच्चे तेल की कीमत गिरती है तो तेल पर विभिन्न सेस लगाने के बजाय तेल की कीमतों में कमी करे!
बजाज ग्रुप के चेयरमैन ने कहा "न मांग, न निवेश तो क्या स्वर्ग से गिरेगा विकास ?"
4. FMCG- बाबा रामदेव की एक मात्र कंपनी पतंजलि धर्म व स्वदेशी की आड़ में ग्रोथ कर रही थी उसमे भी इस साल 10% की गिरावट दर्ज की गई है।यूनिलीवर सहित कई कंपनियों ने अपना उत्पादन घटा दिया है व कर्मचारियों की छंटनी कर रही है!
बसंत माहेश्वरी वेल्थ एडवाइजर के को-फाउंडर बसंत माहेश्वरी ने कहा "जब आप साबुन, शैम्पू, डिटर्जेंट भी नहीं बेच पा रहे हो तो सावधान रहने का समय है!
5. ट्रांसपोर्ट - इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में ट्रक रेंटल में 15% गिरावट आई थी। ढुलाई डिमांड घटने के कारण अप्रैल-जून तिमाही में 30% से ज्यादा ट्रक फ्लीट में कमी आई है। आमजन को क्रय क्षमता घटने के कारण उत्पादन से लेकर ढुलाई तक के धंधे चौपट हो रहे है!
6. व्यापार- विदेशी व्यापार आयात-निर्यात पर निर्भर करता है। निर्यात में 9.71% की कमी व आयात में 9% की कमी आई है। मतलब सीधा सा है कि विदेशी व्यापार भी सिमट रहा है।
मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप, स्मार्ट सिटी आदि सब मिडिया के विज्ञापन और कागजों में सिमट गए है। पूरी दुनियां की कोलम्बस की तरह खोज करने के बाद भी विदेशी निवेशकों ने भारत मे निवेश करने से परहेज किया है। विदेशी निवेश में भी भारी कमी आई है।
हिंदुत्व के एजेंडे, मोब लिंचिंग से हुई बदनामी व सरकारी नीतियों में अनिश्चितताओं की वजह से विदेशी निवेश तो छोड़िए देश के उद्योगपत्ति तक विदेशों में निवेश कर रहे है।
बीएसएनएल, एमटीएनएल, जेट एयरवेज, एयर इंडिया, ओएनजीसी आदि कई कंपनियां घाटे में चली गई व ऊपर से दिवालिया कानून का जीएसटी की तरह जिस अंदाज में महिमामंडन किया गया उसके बाद बैंकिंग सेक्टर कर्ज देने से पीछे हट गया।
आज सेना से लेकर रेलवे, ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन, हेल्थ आदि हर सेक्टर में विभिन्न बहानों के माध्यम से कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।
खेती लोग उसी गति से छोड़ रहे है मगर कहीं दूसरी जगह शिफ्टिंग के लिए कोई रोजगार का अवसर नहीं है। तमाम वादों व नारों के बीच खेती में निवेश करने में मोदी सरकार असफल रही है।
देश बेरोजगारी के बारूद पर खड़ा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर डूब रहा है। इसी तिमाही में जमशेदपुर में 30 स्टील प्लांट बंद हो चुके है! शहरों के मॉल खाली हो रहे है! किसान आत्महत्या में लगातार वृद्धि हो रही है। आमजन के पास इलाज के लिए पैसे नहीं है! स्कूल में बच्चों की ड्राप रेट बढ़ रही है!
सरकार को कुछ समझ मे नहीं आ रहा है कि इसका क्या रास्ता निकाला जाएं! अमेरिकी अर्थशास्त्री जॉन रिचर्ड ने कहा है कि भारत आर्थिक संकट में फंस चुका है।
हिटलर तब तक लोकप्रिय था जब तक जर्मनी पूरी तरह की आर्थिक स्थिति से बर्बाद नहीं हो गया था। 2014 के बाद 2019 में मोदी जी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और उसका एक ही कारण रहा है उन्मादी ब्राह्मणवाद (हिंदूवाद) व फर्जी राष्ट्रवाद!
मोदी सरकार 2014 में जिन वादों को लेकर सत्ता में आई थी उनमें से एक भी वादा पूर्ण रूप से लागू करने में नाकाम रही! पुलवामा हमले, सर्जिकल स्ट्राइक सरीखे देशभक्ति के खेल के माध्यम से दुबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही।
अब, जब देश आर्थिक संकट में फंसा और सच्चाई लोगों के सामने आने लगी तो उससे देश को उबारने के बजाय 370/35A पर कार्यवाही शुरू कर दी।
माना कि यह मुद्दा बीजेपी के घोषणापत्र में था व देश के लोग कश्मीर समस्या का समाधान हो मगर देश आर्थिक संकट में हो तब इससे बचना चाहिए थे। देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के बाद यह कार्य किया जा सकता था मगर डूबती अर्थव्यवस्था को तिनका देने के बजाय गर्त में धकेलने का कार्य इस मोड़ पर कर डाला!
भारत की जीडीपी 2019-20 में 5% से नीचे रहेगी व मार्च से देश का आर्थिक संकट दुनियाँ के सामने होगा।
India in economic crisis!
By the way what do the sheep have to do!
They have free data
And
In the scorching sun and cold, the father's earned Phogat flour which is being found.
There are some aspects of the economy of any country, there are some areas which determine the condition and direction of GDP. In the Indian context, the manufacturing and service sector is the main pillar of GDP. After agriculture, the automobile sector is the most employable. The automobile sector is the largest sector in organized employment and real estate is the largest in organized employment.
If we want to see the economic growth and decline of India, then we should take a quick look at the following areas.
1. Banking Sector - Banking sector is stuck in economic crisis due to random loans and scams. The NPAs of banks in March 2014 stood at Rs 2.25 lakh crore, which increased by almost 8 times to Rs 9.49 lakh crore in 5 years i.e. April 2019!
On the one hand, in the Modi government, robbers were running abroad with money from banks, on the other hand, taking advantage of the proximity of power, they were taking more loans than total assets. Adani Group's total assets were worth 65 thousand crore rupees, at that time it was given a loan of 72 thousand crore rupees!
The government took out the Reserve Capital of RBI and pledged around 200 tonnes of the country's cash in gold Swiss banks! Overall, the banking sector is trying to contain itself rather than generate employment.
2. Real Estate- Real estate sector used to be the biggest shelter for those who left for agriculture for employment. The skilled-unskilled, engineer, mechanic, electrician, carpenter, plumber to industrialist engaged in this profession. Were. The banking and real estate sectors were complementary to each other.
Real estate was standing in the currency of weight and watch due to the uncertainty of the initial policies but demonetisation gave such a shock that the builders started selling water bottles and lakhs of laborers returned from the cities to the villages.
As it was, in an attempt to emerge from the demonetisation, the clutches of the clans imposed GST in such a way that the entire chain from cement, concrete, lead to sellers and buyers came under wraps! The situation has become that more than 12 lakh houses have been waiting for buyers to be built away!
As long as it was understood why real estate was sinking and GST was removed, elections were held and in the case of Amrapali and Unitech, on the other hand, the Supreme Court gave a decision that the government should take the houses in its own hands by the investors. Including the real estate sector has been locked out for five years!
3. Automobile sector- In the field of organized employment, the automobile sector and its related industries constitute 40% of the total organized sector. From April to July this year, 3.5 lakh people have lost jobs and it is expected that by March 2020, 10 lakh people will have to lose their jobs, who will not be able to carry Kavad Handi or Hajj in future. In the last 18 months, 286 showrooms in 271 cities have closed.
In July, Maruti has recorded a decline in sales of 33.5%, Mahindra's 15%, Hyundai's 10%, Toyota's 24%, Honda's 48.67%. Overall sales of all types of vehicles decreased by 12.35%! Jamshedpur unit of Tata Motors has been shut down and layoffs of 1000 subsidiaries have started!
People associated with automobile companies are going to meet in Mavalankar Hall of Delhi and will demand from the government to reduce GST, take back the increase in vehicle registration fees and instead of imposing various cess on oil when the price of crude oil falls in the world Reduce oil prices!
The chairman of the Bajaj Group said, "Neither demand, nor investment, will development fall from heaven?"
4. FMCG- The only company of Baba Ramdev, which was growing under the guise of Patanjali Dharma and Swadeshi, has also registered a decline of 10% this year. Many companies including Unilever have reduced their production and are retrenching employees. is!
Basant Maheshwari, co-founder of Basant Maheshwari Wealth Advisor said, "It's time to be careful when you can't even sell soap, shampoo, detergent!"
5. Transport - According to the report of Indian Federation of Transport, there was a 15% drop in truck rentals in 2018. The truck fleet has decreased by more than 30% in the April-June quarter due to reduced freight demand. Businesses from production to transportation are collapsing due to decreased purchasing power to the common man.
6. Trade- Foreign trade depends on import-export. There is a 9.71% decrease in exports and 9% decrease in imports. This means that foreign trade is also shrinking.
Make in India, start-up, smart city etc. have all been reduced to media advertisements and papers. Even after exploring the entire world like Columbus, foreign investors have avoided investing in India. Foreign investment has also come down drastically.
Due to uncertainties in Hindutva agenda, mob lynching and uncertainties in government policies, leave foreign investment, even industrialists of the country are investing abroad.
Many companies like BSNL, MTNL, Jet Airways, Air India, ONGC etc. went into losses and the banking sector stepped back from lending after the bankrupt law was glorified in the same way.
Today, jobs are given to employees through various excuses in every sector from Army to Railways, Transport, Education, Health etc.
वैसे भेड़ों को क्या करना है!
उनको तो मुफ्त में डाटा
ओर
तपती धूप और ठंड में बाप का कमाया फोगट का आटा जो मिल रहा है।
https://www.anxietyattak.com/2019/08/india-in-economic-crisis.html
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के कुछ पहलू होते है, कुछ क्षेत्र होते है जो जीडीपी की दशा व दिशा तय करते है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो मैनुफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर जीडीपी के मुख्य स्तंभ है। कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला ऑटोमोबाइल सेक्टर है। संगठित रोजगार देने में ऑटोमोबाइल सेक्टर सबसे बड़ा क्षेत्र है व संगठित रोजगार देने वाला रियल एस्टेट सबसे बड़ा है।
भारत की आर्थिक तरक्की व गिरावट को देखना है तो हमे निम्न क्षेत्रों पर सरसरी नजर डाल लेनी चाहिए।
1. बैंकिंग सेक्टर- बैंकिंग सेक्टर बेतरतीब दिए कर्ज व घोटालों के कारण आर्थिक संकट में फंस गया है। मार्च 2014 में बैंकों का एनपीए 2.25 लाख करोड़ रुपये था जो 5 साल अर्थात अप्रैल 2019 में तकरीबन 8 गुना बढ़कर 9.49 लाख करोड़ रुपये हो गया!
एक तरफ मोदी सरकार में लुटेरे बैंकों के पैसे लेकर विदेश भाग रहे थे तो दूसरी तरफ सत्ता की नजदीकियों का फायदा उठाकर कुल असेट से भी ज्यादा कर्ज ले रहे थे। अडानी ग्रुप की कुल परिसंपत्तियों की वैल्यू 65 हजार करोड़ रुपये थी उस समय उसको 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे दिया गया!
सरकार ने आरबीआई की रिज़र्व पूंजी निकाल ली और देश की आवाम का 200 टन के करीब गोल्ड स्विस बैंकों में में गिरवी रख दिया! कुल मिलाकर बैंकिंग सेक्टर रोजगार पैदा करने के बजाय खुद की आबरू समेटने का प्रयास कर रहा है।
2. रियल एस्टेट- खेती छोड़कर जो लोग दूसरी जगह रोजगार के लिए निकलते थे उनके लिए सबसे बड़ा आशियाना रियल एस्टेट सेक्टर हुआ करता था।कुशल-अकुशल, इंजीनियर, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, प्लम्बर से लेकर उद्योगपत्ति तक इस पेशे में लगे हुए थे। बैंकिंग व रियल एस्टेट सेक्टर एक-दूसरे के पूरक बनकर चल रहे थे।
शुरुआती नीतियों की अनिश्चितता को लेकर रियल एस्टेट वेट एंड वाच की मुद्रा में खड़ा था मगर नोटबन्दी ने ऐसा झटका दिया कि बिल्डर पानी की बोतलें बेचने लग गए और लाखों मजदूर बेरोजगार होकर शहरों से गांवों की तरफ लौट गए।
जैसे तैसे नोटबन्दी की मार से उभरने के प्रयास में लगा हुआ था कि अनाड़ियों के झुंड ने जीएसटी इस तरह थोपा कि सीमेंट, कंक्रीट, सरिये से लेकर बेचने वाले व खरीदने वाले अर्थात पूरी श्रृंखला ही लपेटे में आ गई! हालात यह हो गई कि नए बनना तो दूर बने बनाये 12 लाख से ज्यादा मकान खरीददारों के इंतजार में पड़े है!
जब तक यह समझ मे आया कि रियल एस्टेट क्यों डूब रहा है और जीएसटी हटाई तब तक चुनाव आ गए और दूसरी तरफ आम्रपाली व यूनिटेक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया कि निवेशकों को सरकार खुद अपने हाथ मे लेकर मकान बनाकर दें!कुल मिलाकर रियल एस्टेट सेक्टर पर पांच साल से तालाबंदी है!
3. ऑटोमोबाइल सेक्टर- संगठित रोजगार के क्षेत्र में ऑटोमोबाइल सेक्टर व इनसे परस्पर जुड़े धंधे कुल संगठित क्षेत्र का 40% है। इसी साल अप्रैल से जुलाई तक 3.5 लाख लोग रोजगार गंवा चुके है और संभावना है कि मार्च 2020 तक 10 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा जो आगे चलकर कावड़ वाली हांडी ढोने या हज करने लायक भी नहीं बचेंगे। पिछले 18 महीनों में 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हो चुके है।
जुलाई में मारुति की 33.5%, महिंद्रा की 15%, हुंडई की 10%, टोयटा की 24%, हौंडा की 48.67% बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। कुल मिलाकर हर तरह के वाहनों में 12.35% बिक्री घटी है! टाटा मोटर्स की जमशेदपुर इकाई बंद कर दी गई व 1000 आनुषंगिक कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो गई है!
ऑटोमोबाइल कंपनियों से जुड़े लोग दिल्ली के मावलंकर हॉल में मीटिंग करने जा रहे है और सरकार से मांग करेंगे जीएसटी में कमी करे, वाहन रजिस्ट्रेशन फीस की बढ़ोतरी वापिस ले व जब दुनियाँ में कच्चे तेल की कीमत गिरती है तो तेल पर विभिन्न सेस लगाने के बजाय तेल की कीमतों में कमी करे!
बजाज ग्रुप के चेयरमैन ने कहा "न मांग, न निवेश तो क्या स्वर्ग से गिरेगा विकास ?"
4. FMCG- बाबा रामदेव की एक मात्र कंपनी पतंजलि धर्म व स्वदेशी की आड़ में ग्रोथ कर रही थी उसमे भी इस साल 10% की गिरावट दर्ज की गई है।यूनिलीवर सहित कई कंपनियों ने अपना उत्पादन घटा दिया है व कर्मचारियों की छंटनी कर रही है!
बसंत माहेश्वरी वेल्थ एडवाइजर के को-फाउंडर बसंत माहेश्वरी ने कहा "जब आप साबुन, शैम्पू, डिटर्जेंट भी नहीं बेच पा रहे हो तो सावधान रहने का समय है!
5. ट्रांसपोर्ट - इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में ट्रक रेंटल में 15% गिरावट आई थी। ढुलाई डिमांड घटने के कारण अप्रैल-जून तिमाही में 30% से ज्यादा ट्रक फ्लीट में कमी आई है। आमजन को क्रय क्षमता घटने के कारण उत्पादन से लेकर ढुलाई तक के धंधे चौपट हो रहे है!
6. व्यापार- विदेशी व्यापार आयात-निर्यात पर निर्भर करता है। निर्यात में 9.71% की कमी व आयात में 9% की कमी आई है। मतलब सीधा सा है कि विदेशी व्यापार भी सिमट रहा है।
मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप, स्मार्ट सिटी आदि सब मिडिया के विज्ञापन और कागजों में सिमट गए है। पूरी दुनियां की कोलम्बस की तरह खोज करने के बाद भी विदेशी निवेशकों ने भारत मे निवेश करने से परहेज किया है। विदेशी निवेश में भी भारी कमी आई है।
हिंदुत्व के एजेंडे, मोब लिंचिंग से हुई बदनामी व सरकारी नीतियों में अनिश्चितताओं की वजह से विदेशी निवेश तो छोड़िए देश के उद्योगपत्ति तक विदेशों में निवेश कर रहे है।
बीएसएनएल, एमटीएनएल, जेट एयरवेज, एयर इंडिया, ओएनजीसी आदि कई कंपनियां घाटे में चली गई व ऊपर से दिवालिया कानून का जीएसटी की तरह जिस अंदाज में महिमामंडन किया गया उसके बाद बैंकिंग सेक्टर कर्ज देने से पीछे हट गया।
आज सेना से लेकर रेलवे, ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन, हेल्थ आदि हर सेक्टर में विभिन्न बहानों के माध्यम से कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।
खेती लोग उसी गति से छोड़ रहे है मगर कहीं दूसरी जगह शिफ्टिंग के लिए कोई रोजगार का अवसर नहीं है। तमाम वादों व नारों के बीच खेती में निवेश करने में मोदी सरकार असफल रही है।
देश बेरोजगारी के बारूद पर खड़ा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर डूब रहा है। इसी तिमाही में जमशेदपुर में 30 स्टील प्लांट बंद हो चुके है! शहरों के मॉल खाली हो रहे है! किसान आत्महत्या में लगातार वृद्धि हो रही है। आमजन के पास इलाज के लिए पैसे नहीं है! स्कूल में बच्चों की ड्राप रेट बढ़ रही है!
सरकार को कुछ समझ मे नहीं आ रहा है कि इसका क्या रास्ता निकाला जाएं! अमेरिकी अर्थशास्त्री जॉन रिचर्ड ने कहा है कि भारत आर्थिक संकट में फंस चुका है।
हिटलर तब तक लोकप्रिय था जब तक जर्मनी पूरी तरह की आर्थिक स्थिति से बर्बाद नहीं हो गया था। 2014 के बाद 2019 में मोदी जी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और उसका एक ही कारण रहा है उन्मादी ब्राह्मणवाद (हिंदूवाद) व फर्जी राष्ट्रवाद!
मोदी सरकार 2014 में जिन वादों को लेकर सत्ता में आई थी उनमें से एक भी वादा पूर्ण रूप से लागू करने में नाकाम रही! पुलवामा हमले, सर्जिकल स्ट्राइक सरीखे देशभक्ति के खेल के माध्यम से दुबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही।
अब, जब देश आर्थिक संकट में फंसा और सच्चाई लोगों के सामने आने लगी तो उससे देश को उबारने के बजाय 370/35A पर कार्यवाही शुरू कर दी।
माना कि यह मुद्दा बीजेपी के घोषणापत्र में था व देश के लोग कश्मीर समस्या का समाधान हो मगर देश आर्थिक संकट में हो तब इससे बचना चाहिए थे। देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के बाद यह कार्य किया जा सकता था मगर डूबती अर्थव्यवस्था को तिनका देने के बजाय गर्त में धकेलने का कार्य इस मोड़ पर कर डाला!
भारत की जीडीपी 2019-20 में 5% से नीचे रहेगी व मार्च से देश का आर्थिक संकट दुनियाँ के सामने होगा।
India in economic crisis!
By the way what do the sheep have to do!
They have free data
And
In the scorching sun and cold, the father's earned Phogat flour which is being found.
There are some aspects of the economy of any country, there are some areas which determine the condition and direction of GDP. In the Indian context, the manufacturing and service sector is the main pillar of GDP. After agriculture, the automobile sector is the most employable. The automobile sector is the largest sector in organized employment and real estate is the largest in organized employment.
If we want to see the economic growth and decline of India, then we should take a quick look at the following areas.
1. Banking Sector - Banking sector is stuck in economic crisis due to random loans and scams. The NPAs of banks in March 2014 stood at Rs 2.25 lakh crore, which increased by almost 8 times to Rs 9.49 lakh crore in 5 years i.e. April 2019!
On the one hand, in the Modi government, robbers were running abroad with money from banks, on the other hand, taking advantage of the proximity of power, they were taking more loans than total assets. Adani Group's total assets were worth 65 thousand crore rupees, at that time it was given a loan of 72 thousand crore rupees!
The government took out the Reserve Capital of RBI and pledged around 200 tonnes of the country's cash in gold Swiss banks! Overall, the banking sector is trying to contain itself rather than generate employment.
2. Real Estate- Real estate sector used to be the biggest shelter for those who left for agriculture for employment. The skilled-unskilled, engineer, mechanic, electrician, carpenter, plumber to industrialist engaged in this profession. Were. The banking and real estate sectors were complementary to each other.
Real estate was standing in the currency of weight and watch due to the uncertainty of the initial policies but demonetisation gave such a shock that the builders started selling water bottles and lakhs of laborers returned from the cities to the villages.
As it was, in an attempt to emerge from the demonetisation, the clutches of the clans imposed GST in such a way that the entire chain from cement, concrete, lead to sellers and buyers came under wraps! The situation has become that more than 12 lakh houses have been waiting for buyers to be built away!
As long as it was understood why real estate was sinking and GST was removed, elections were held and in the case of Amrapali and Unitech, on the other hand, the Supreme Court gave a decision that the government should take the houses in its own hands by the investors. Including the real estate sector has been locked out for five years!
3. Automobile sector- In the field of organized employment, the automobile sector and its related industries constitute 40% of the total organized sector. From April to July this year, 3.5 lakh people have lost jobs and it is expected that by March 2020, 10 lakh people will have to lose their jobs, who will not be able to carry Kavad Handi or Hajj in future. In the last 18 months, 286 showrooms in 271 cities have closed.
In July, Maruti has recorded a decline in sales of 33.5%, Mahindra's 15%, Hyundai's 10%, Toyota's 24%, Honda's 48.67%. Overall sales of all types of vehicles decreased by 12.35%! Jamshedpur unit of Tata Motors has been shut down and layoffs of 1000 subsidiaries have started!
People associated with automobile companies are going to meet in Mavalankar Hall of Delhi and will demand from the government to reduce GST, take back the increase in vehicle registration fees and instead of imposing various cess on oil when the price of crude oil falls in the world Reduce oil prices!
The chairman of the Bajaj Group said, "Neither demand, nor investment, will development fall from heaven?"
4. FMCG- The only company of Baba Ramdev, which was growing under the guise of Patanjali Dharma and Swadeshi, has also registered a decline of 10% this year. Many companies including Unilever have reduced their production and are retrenching employees. is!
Basant Maheshwari, co-founder of Basant Maheshwari Wealth Advisor said, "It's time to be careful when you can't even sell soap, shampoo, detergent!"
5. Transport - According to the report of Indian Federation of Transport, there was a 15% drop in truck rentals in 2018. The truck fleet has decreased by more than 30% in the April-June quarter due to reduced freight demand. Businesses from production to transportation are collapsing due to decreased purchasing power to the common man.
6. Trade- Foreign trade depends on import-export. There is a 9.71% decrease in exports and 9% decrease in imports. This means that foreign trade is also shrinking.
Make in India, start-up, smart city etc. have all been reduced to media advertisements and papers. Even after exploring the entire world like Columbus, foreign investors have avoided investing in India. Foreign investment has also come down drastically.
Due to uncertainties in Hindutva agenda, mob lynching and uncertainties in government policies, leave foreign investment, even industrialists of the country are investing abroad.
Many companies like BSNL, MTNL, Jet Airways, Air India, ONGC etc. went into losses and the banking sector stepped back from lending after the bankrupt law was glorified in the same way.
Today, jobs are given to employees through various excuses in every sector from Army to Railways, Transport, Education, Health etc.