वो माचिस की गीली डब्बी, वो साँसों में आग
बरसात में सिगरेट सुलगाये बड़े दिन हो गए
एक्शन का जूता और ऊपर फॉर्मल सूट
बेगानी शादी में दावत उड़ाए बड़े दिन हो गए
ये बारिशें आजकल रेनकोट में सूख जाती हैं
सड़कों पर छपाके उड़ाए बड़े दिन हो गए
अब सारे काम सोच समझ कर करता हूँ ज़िन्दगी में
वो पहली गेंद पर बढ़कर छक्का लगाये बड़े दिन हो गए
वो ढ़ाई नंबर का क्वेश्चन, पुतलियों में समझाना
किसी हसीन चेहरे को नक़ल कराये बड़े दिन हो गए
जो भी कहना है अब फेसबुक पर डाल देता हूँ
किसी को चुपके से चिट्ठी पकड़ाए बड़े दिन हो गए
बड़ा होने का शौख भी बड़ा था बचपन में
खट्टा मीठा चूरन मुंह में दबाये बड़े दिन हो गए
मेरे आसमान अब किसी विधवा की साड़ी से लगते हैं
बादलों में पतंग की झालर लगाए बहुत दिन हो गए
सुबह के सारे काम अब रात में ही कर लेता हूँ
सफ़ेद जूतों पर चाक लगाए बड़े दिन हो गए
लोग कहते हैं अगला बड़ा सलीकेदार है
दोस्त के झगडे को अपनी लड़ाई बनाये बड़े दिन हो गए
साइकिल की सवारी और PULSER सा टशन
डंडा पकड़ कर कैंची चलाये बड़े दिन हो गए
किसी इतवार खाली हो तो आ जाना पुराने अड्डे पर
दोस्तों को दिल के शिकवे सुनाये बड़े दिन हो गए...!!!
By
Nidhi Jain [ M Sc- Comp ]
General Manager Operations
Alfa Bloggers Group
Nidhi@AlfaBloggers.com
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