Lessons for Business Leaders
At Lessons for Business Leaders, we are committed to publishing the very Best Motivational and Inspirational Leadership Blogs, Quotes and Articles from the Super Dupper Business Leaders in the world. We are dedicated to helping every new and Seasond Business Leader Create an Excellent Organization and to provide a Daily Mug of Inspiration for all Business Leaders. Leadership https://www.linkedin.com/company/lessons-for-business-leaders
Australia ----10% Bahrain ----- -----5% Canada ---- -----15% China --------------17% Japan --- -------8% Korea --- ------10% Kuwait------ -----5% Malaysia --- ----6% Mauritius--- -----15% Mexico --- ----16% Myanmar ----------3% New Zealand--- ----15% Philippines-- ---12% Syrian( fed)-18% Singapore-------- 7% South Africa-14% Thailand ------ ---7% UAE -------------5% America(usa).7.5% Vietnam ------10% Zimbabwe ---- ----15% महान India ------ ----- >18% to 28 % Where in case of petrol is excluded from GST, why because there is 33% loot by the government, by implementing GST why will government reduce 5percent of its budget. (Congress government had set up maximum 18%tax on GST of which BJP took great advantage by making GST upto 28percent. - Open your eyes... Dont be fan of MODI.. One gas cylinder costs rs.680, from indian oil refund ofsubsidy to bank is Rs. 159, That is, 680 - 159= 521 Rupees Beforehand we were purchasing the same at Rs. 418. Which means a loss of Rs. 97. Now it is to know that the money I deposited with me got me back. Then where did the money of subsidy go, rather I have to pay more money than before. What is this math ...? The whole country is thinking that it is getting subsidy money, but it is our money that we are getting. Issue Number: -02 How the price of petrol is fixed in the country, its entire process is as follows: - Current price of crude = $ 50 per bracket (Where, $ 1 = 63 / - and 1 barrel = 159 liters) that is, $ 50 = Rs.3150 / - 1 liter crude oil buys India (3150/159) = 19 In 80 rupees Crude oil to make 1 liter gasoline - 0.96 liters @ 19.80 / - = 19.00 / - Now there is a fixed price for making one liters of petrol out of crude oil 6 rupees (including transportation). I.e., 19.00 rupees + fixed price, 6 rupees = 25.00 rupees one liter petrol. Now it seems the tax of the central government, 25% ie 6 rupees. I.e. 25 + 6 = 31 rupees And from then on, VAT of the state government tax, Which is to be counted as average 15% which is 5 rupees i.e. the sum total is 36 rupees. And finally, petrol pump dealers are given a liter of 90 paisa on commission, then it costs 37 rupees. But still we are getting petrol in 67rs / - per liter today. Please try to get this information from hard to reach every citizen of the country. Shaan or Chhalava .... There is one place in the whole of India where food is the cheapest item. Tea = 1.00 soup = 5.50 lentils = 1.50 food = 2.00 chapati = 1.00 chicken = 24.50 dosa = 4.00 biryani = 8.00 fish = 13.00 All these things are for the poor only and all this is available in Indian Parliament Canteen . And the salary of those poor is 80, 000 rupees a month without even income tax. That is the reason why they think that the person who earns 30 or 32 rupees a day is not poor. आपके Mobile में जितने भी नम्बर Save है सबको Forward करें ताकि सबको पता चले www.anxietyattak.com/2017/09/indian-parliament-canteen-tariff-rates.html
Punjabi was driving down the Delhi street in a swift because he had an important meeting and couldn't find a parking place. Looking up to heaven he said, "Lord take pity on me. If you find me a parking place I will go to Gurdwara every Sunday for the rest of my life and give up my Whiskey. I will give up Gambling and Womanising too !" Miraculously, a Parking Place appeared. Punjabi looked up again and said, "Never mind, I found one ! Sorry I bothered you !!" Moral ...... Punjabis are innocent simple people ....... 😜😉😉😉😉😜😜😜😜🍾🍾🍺
I Loved the Concept : There are four yugas widely accepted in Hinduism. They are :
1. Satya Yug 2. Treta Yug (Ramayana) 3. Dwapara Yug (Mahabharata) 4. Kal Yug (Present) In Satya yug, the fight was between two worlds (Devalok & Asuralok). Asuralok being the evil, was a different WORLD. In Treta yug, the fight was between Rama and Ravana. Both rulers from two different COUNTRIES. In Dwapara yug, the fight was between Pandavas and Kauravas. Both good and evil from the SAME FAMILY. Kindly note how the evil is getting closer. For example, from a DIFFERENT WORLD to a DIFFERENT COUNTRY to the SAME FAMILY. Now, know where is the evil in Kaliyug??? It is inside us. Both GOOD AND EVIL LIVE WITHIN. The battle is within us. Who will we give victory to, our inner goodness or the evil within?? Think, identify and fight. 👍Happy Dushera 🙏🏻
Dasha Hara is a Sanskrit word which means removal of ten bad qualities within you....
Ahankara (Ego) Amaanavta (Cruelty) Anyaaya (Injustice) Kama vasana (Lust) Krodha (Anger) Lobha (Greed) Mada (Over Pride) Matsara (Jealousy) Moha (Attachment) Swartha (Selfishness) Hence, also known as 'Vijaydashami' signifying 'Vijaya' over these ten bad qualities. Wish You & Your Family Happy Dussehara . एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई । जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह नुकसान आ रहा है । तैयार हो जाओ। लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो। सुनार बहुत समझदार था। उसने 🙏 विनती की नुकसान आए तो आने दो । लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा। कुछ दिन के बाद :- सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई। इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई । उनकी सास ने भी ऐसा किया। शाम को सबसे पहले सुनार आया। पहला निवाला मुह में लिया। देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया। पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ? सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।" अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ। इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए। पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए। रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा -,"मै जा रहा हूँ।" सुनार ने पूछा- क्यों ? तब नुकसान (हानि ) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए । लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।" निचोङ ⭐झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है। 👏जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी का वास है। 🔃सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे। छोटे -बङे की कदर करे । जो बङे हैं, वो बङे ही रहेंगे । चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो। 🙏🙏🙏🙏 अच्छा लगे तो आप जरुर किसी अपने को भेजें।
अच्छे के साथ अच्छे बनें, पर बुरे के साथ बुरे नहीं। ....क्योंकि - 🔰 हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता ।
🙏 🙏यह मैसेज जितनी बार पढे उतना कम ही ह ।🙏 एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ... उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ .. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा .. सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी सी जगह में सोख ली गई ... प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो .... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं , छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है .. अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ... ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ... यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा ... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ , घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ... टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है ... बाकी सब तो रेत है .. छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे .. अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि " चाय के दो कप " क्या हैं ? प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ... इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिए।
(अगर अच्छा लगे तो अपने ख़ास मित्रों और निकटजनों को यह विचार तत्काल भेजें.... मैंने तो अभी-अभी यही किया है) http://www.AnxietyAttak.com Read This Message as often as Possible .🙏 A professor came to the class and he told the students that they Today is an important lesson of life ... They put a glass of big Jar with them on the table and in it He started putting the balls of the table tennis and kept till it did not have any place to accommodate one ball ... They asked the students - did the Jar fill up? Yes ... The sound was ... Then, Professor Sahab started filling small buds in it, and gradually shook Barani, so many cactuses were filled in it where the place was empty, Again, Professor Saheb asked, Is it now full of gratitude, students once again say yes ... Now Professor Sahab started sanding in the sand pouch with a sand pouch, the sand was sitting in the jar where possible, now the students laughed at their nonsense ... Then Professor Saheb asked, why now this barn is not full? Yes .. now it's full. Everyone said in one voice. Sir from the bottom of the table Take two cups of tea and put tea in it, tea is also located in the middle of the sand Was absorbed in a few places ... Professor Sahab started explaining in grave voice This glass barni you people consider your life .... Table Tennis balls are the most important part i.e. God, family, children, friends, health and hobbies, Small crusher means your job, car, big houses, etc. The meaning of sand is even more small things, irritation, quarrels. Now if you were the first sand in the glass barn, then there is no room for table tennis balls and craters. If the skeleton was filled up, the balls could not be filled, sand could have come ... The same thing applies to life ... If you keep going after small things And if you destroy your energy in it then you have more time for the main things will not be ... This is what you need to decide for the happiness of the mind. Ours Play with the children, pour water into the garden, go out to wander with the wife in the morning, Take out the waste products of the house, check medical check-up ... First of all, think about table tennis balls first, that's important ... first decide what is important ... the rest are all sand .. Students were listening very carefully .. Suddenly one asked, sir but you did not say this What are "two cups of tea"? Professor smiled, said ... I was thinking that no one has asked this question so far ... The answer is that life should be perfect and satisfied, but Two cups of tea should always be with drinking a special friend.
If you like it then send this idea to your special friends and close friends .... I just did this now
🙏यह मैसेज जितनी बार पढे उतना कम ही ह ।🙏 एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ... उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ .. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा .. सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी सी जगह में सोख ली गई ... प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो .... टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं , छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है .. अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ... ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ... यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा ... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ , घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ... टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है ... बाकी सब तो रेत है .. छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे .. अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि " चाय के दो कप " क्या हैं ? प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ... इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिए। (अगर अच्छा लगे तो अपने ख़ास मित्रों और निकटजनों को यह विचार तत्काल भेजें.... मैंने तो अभी-अभी यही किया है) http://www.AnxietyAttak.com(अगर अच्छा लगे तो अपने ख़ास मित्रों और निकटजनों को यह विचार तत्काल भेजें.... मैंने तो अभी-अभी यही किया है) 😊
हमारे देश में हायर सेकंडरी ‘1st Class’ में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते है और वो डॉक्टर या इंजिनियर बनते है 🔵‘2nd Class’ में पास होने वाले BA में Admission लेते है और Administrator / IAS IPS बनते है और 1st Class वालों को हैंडल करते है 🔴‘3rd Class’ पास होने वाले कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है । वो ठेकेदार बन जाते है और वो 1st और 2nd क्लास वालो को हैंडल करते है। 🔵‘Fail’ होने वाले भी कही पे प्रवेश नहीं लेते है और वो राजनीति में जा के तीनों पे कंट्रोल करते है। 🔴 जो बीच में पढाई ही छोड दे वो अंडरवर्ल्ड Don बन कर चारों पे कंट्रोल करते है। 😀और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं। 🎅🎅 वो बाबा बनते है और उपर लिखे पाँचो उनके पैर पडते है। भयानक सत्य कथा समाप्त
Terrible True Story in our Country India Students passing in Higher Secondary '1st Class' take admission in technical and they become doctors or engineers Take admission in BA passing in 🔵'2nd class' and admin / IAS becomes IPS and 1st class handles those Anyone who passes '🔴'3rd class' does not take admission. They become a contractor and they handle 1st and 2nd class people. Those who do 'Fail' do not even enter any of the papers and they control all three of them going to politics. Those who leave the studies in the middle, they become the underworld don and control them four. And whoever never went to school. 🎅🎅 They become Baba and their five feet are written on their feet. Horrible truth story concludes
भयानक सत्य कथा हमारे देश में हायर सेकंडरी ‘1st Class’ में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते है और वो डॉक्टर या इंजिनियर बनते है 🔵‘2nd Class’ में पास होने वाले BA में Admission लेते है और Administrator / IAS IPS बनते है और 1st Class वालों को हैंडल करते है 🔴‘3rd Class’ पास होने वाले कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है । वो ठेकेदार बन जाते है और वो 1st और 2nd क्लास वालो को हैंडल करते है। 🔵‘Fail’ होने वाले भी कही पे प्रवेश नहीं लेते है और वो राजनीति में जा के तीनों पे कंट्रोल करते है। 🔴जो बीच में पढाई ही छोड दे वो अंडरवर्ल्ड Don बन कर चारों पे कंट्रोल करते है। 😀और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं। 🎅🎅 वो बाबा बनते है और उपर लिखे पाँचो उनके पैर पडते है।
The post that I liked immensely…. Please read fully and share if possible. Self Discipline is the key to success in Life... This post is about what happened in a typical middle-class household. The son didn’t like living in his house. “You are leaving the room without switching off the fan” “The TV on in the room where there is no one. Switch it off!” “Keep the pen in the stand; it is fallen down” The son didn’t like his father nagging him for these minor things. He had to tolerate these things till yesterday since he was with them in the same house. But today, however, he has an invitation for a job interview. “As soon as I get the job, I should leave this town. There won’t be any nagging from my father” were his thoughts. He left for the interview. “Answer the questions put to you without any hesitation. Even if you don’t know the answer, mention that confidently.” Father gave him more money than he actually needed to attend the interview. The son reached the interview centre. There was no security outside near the gate. Even though the door was open, the latch was protruding out probably hitting the people entering through the door. He put the latch properly, closed the door and entered the office. On both sides of the pathway he could see beautiful flower plants. The gardener had kept the water running in the hose-pipe and was not to be seen anywhere. The water was overflowing on the pathway. He kept the hosepipe near the plant and went further. There was no one in the reception area. However, there was a notice saying that the interview was in the first floor. He slowly climbed the stairs. The light that was switched on last night was still burning at 10 am in the morning. He remembered his father’s admonition, “Why are you leaving the room without switching off the light?” and thought he could still hear that now. Even though he felt irritated by that thought, he sought the switch and switched off the light. Upstairs in a large hall he could see many aspirants sitting waiting for their turn. He looked at the number of people and wondered if he had any chance of getting the job. He entered the hall with some trepidation and stepped on the “Welcome” mat placed near the door. He noticed that the mat was upside down. He straightened out the mat with some irritation. Habits die hard. He saw that in a few rows in the front there were many people waiting for their turn, whereas the back rows were empty, but a number of fans were running over those rows of seats. He heard his father’s voice again, “Why are the fans running in the room where there is no one?” He switched off the fans that were not needed and sat at one of the empty chairs. He could see many men entering the interview room and immediately leave from another door. There was thus no way anyone could guess what was being asked in the interview. He went and stood before the interviewer with some trepidation and concern. The officer took the certificates from him and without looking at them asked, “When can you join work?” He thought ,”is this a trick question being asked in the interview, or is this a signal that I have been offered the job?” He was confused. “What are you thinking?” asked the boss. “We didn’t ask anyone any question here. By asking a few questions we won’t be able to assess the skills of anyone. So our test was to assess the attitude of the person. We kept certain tests based on the behaviour of the candidates and we observed everyone through CCTV. No one who came today did anything to set right the hose pipe, the welcome mat, the uselessly running fans or lights. You were the only one who did that. That’s why we have decided to select you for the job”, said the boss. He always used to get irritated at his father’s discipline and remonstrations. Now he realized that it is only the discipline that has got him his job. His irritation and anger at his father vanished completely. He decided that he would bring his father too to his workplace and left for home happily. Whatever our father tells us is only for our bright future! A rock doesn’t become a beautiful sculpture if it resists the pain of the chisel chipping it away. For us to become a beautiful sculpture and a human being we need to chisel out the bad habits and behaviour from ourselves. Those are what our father does when he disciplines us. The mother lifts the child up on her waist to feed her, to cuddle her, and to put her to sleep. But the father is not like that. He lifts the child up on his shoulders to make her see the world that he couldn’t see. We can realize the pain the mother undergoes by listening to her; but the father’s pain can be realized only when others tell us about it. Our father is our teacher when we are five years old; a villain when we are twenty, but a guidepost when he is no more in our midst. The mother can go to her daughter’s or son’s home when she is old; but the father doesn’t know how to do that. He is always independent and alone. Hence there is no use in hurting our parents when they are alive and remembering about them when they have passed away.