India in economic crisis!

आर्थिक संकट में भारत देश!
वैसे भेड़ों को क्या करना है!
उनको तो मुफ्त में डाटा 
ओर
तपती धूप और ठंड में बाप का कमाया फोगट का आटा जो मिल रहा है।
https://www.anxietyattak.com/2019/08/india-in-economic-crisis.html

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के कुछ पहलू होते है, कुछ क्षेत्र होते है जो जीडीपी की दशा व दिशा तय करते है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो मैनुफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर जीडीपी के मुख्य स्तंभ है। कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला ऑटोमोबाइल सेक्टर है। संगठित रोजगार देने में ऑटोमोबाइल सेक्टर सबसे बड़ा क्षेत्र है व संगठित रोजगार देने वाला रियल एस्टेट सबसे बड़ा है।

भारत की आर्थिक तरक्की व गिरावट को देखना है तो हमे निम्न क्षेत्रों पर सरसरी नजर डाल लेनी चाहिए।

1. बैंकिंग सेक्टर- बैंकिंग सेक्टर बेतरतीब दिए कर्ज व घोटालों के कारण आर्थिक संकट में फंस गया है। मार्च 2014 में बैंकों का एनपीए 2.25 लाख करोड़ रुपये था जो 5 साल अर्थात अप्रैल 2019 में तकरीबन 8 गुना बढ़कर 9.49 लाख करोड़ रुपये हो गया!

एक तरफ मोदी सरकार में लुटेरे बैंकों के पैसे लेकर विदेश भाग रहे थे तो दूसरी तरफ सत्ता की नजदीकियों का फायदा उठाकर कुल असेट से भी ज्यादा कर्ज ले रहे थे। अडानी ग्रुप की कुल परिसंपत्तियों की वैल्यू 65 हजार करोड़ रुपये थी उस समय उसको 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे दिया गया!

सरकार ने आरबीआई की रिज़र्व पूंजी निकाल ली और देश की आवाम का 200 टन के करीब गोल्ड स्विस बैंकों में में गिरवी रख दिया! कुल मिलाकर बैंकिंग सेक्टर रोजगार पैदा करने के बजाय खुद की आबरू समेटने का प्रयास कर रहा है।

2. रियल एस्टेट- खेती छोड़कर जो लोग दूसरी जगह रोजगार के लिए निकलते थे उनके लिए सबसे बड़ा आशियाना रियल एस्टेट सेक्टर हुआ करता था।कुशल-अकुशल, इंजीनियर, मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, प्लम्बर से लेकर उद्योगपत्ति तक इस पेशे में लगे हुए थे। बैंकिंग व रियल एस्टेट सेक्टर एक-दूसरे के पूरक बनकर चल रहे थे।

शुरुआती नीतियों की अनिश्चितता को लेकर रियल एस्टेट वेट एंड वाच की मुद्रा में खड़ा था मगर नोटबन्दी ने ऐसा झटका दिया कि बिल्डर पानी की बोतलें बेचने लग गए और लाखों मजदूर बेरोजगार होकर शहरों से गांवों की तरफ लौट गए।

जैसे तैसे नोटबन्दी की मार से उभरने के प्रयास में लगा हुआ था कि अनाड़ियों के झुंड ने जीएसटी इस तरह थोपा कि सीमेंट, कंक्रीट, सरिये से लेकर बेचने वाले व खरीदने वाले अर्थात पूरी श्रृंखला ही लपेटे में आ गई! हालात यह हो गई कि नए बनना तो दूर बने बनाये 12 लाख से ज्यादा मकान खरीददारों के इंतजार में पड़े है!

जब तक यह समझ मे आया कि रियल एस्टेट क्यों डूब रहा है और जीएसटी हटाई तब तक चुनाव आ गए और दूसरी तरफ आम्रपाली व यूनिटेक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दे दिया कि निवेशकों को सरकार खुद अपने हाथ मे लेकर मकान बनाकर दें!कुल मिलाकर रियल एस्टेट सेक्टर पर पांच साल से तालाबंदी है!

3. ऑटोमोबाइल सेक्टर- संगठित रोजगार के क्षेत्र में ऑटोमोबाइल सेक्टर व इनसे परस्पर जुड़े धंधे कुल संगठित क्षेत्र का 40% है। इसी साल अप्रैल से जुलाई तक 3.5 लाख लोग रोजगार गंवा चुके है और संभावना है कि मार्च 2020 तक 10 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा जो आगे चलकर कावड़ वाली हांडी ढोने या हज करने लायक भी नहीं बचेंगे। पिछले 18 महीनों में 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हो चुके है।

जुलाई में मारुति की 33.5%, महिंद्रा की 15%, हुंडई की 10%, टोयटा की 24%, हौंडा की 48.67% बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। कुल मिलाकर हर तरह के वाहनों में 12.35% बिक्री घटी है! टाटा मोटर्स की जमशेदपुर इकाई बंद कर दी गई व 1000 आनुषंगिक कंपनियों में कर्मचारियों की छंटनी शुरू हो गई है!

ऑटोमोबाइल कंपनियों से जुड़े लोग दिल्ली के मावलंकर हॉल में मीटिंग करने जा रहे है और सरकार से मांग करेंगे जीएसटी में कमी करे, वाहन रजिस्ट्रेशन फीस की बढ़ोतरी वापिस ले व जब दुनियाँ में कच्चे तेल की कीमत गिरती है तो तेल पर विभिन्न सेस लगाने के बजाय तेल की कीमतों में कमी करे!

बजाज ग्रुप के चेयरमैन ने कहा "न मांग, न निवेश तो क्या स्वर्ग से गिरेगा विकास ?"

4. FMCG- बाबा रामदेव की एक मात्र कंपनी पतंजलि धर्म व स्वदेशी की आड़ में ग्रोथ कर रही थी उसमे भी इस साल 10% की गिरावट दर्ज की गई है।यूनिलीवर सहित कई कंपनियों ने अपना उत्पादन घटा दिया है व कर्मचारियों की छंटनी कर रही है!

बसंत माहेश्वरी वेल्थ एडवाइजर के को-फाउंडर बसंत माहेश्वरी ने कहा "जब आप साबुन, शैम्पू, डिटर्जेंट भी नहीं बेच पा रहे हो तो सावधान रहने का समय है!

5. ट्रांसपोर्ट - इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में ट्रक रेंटल में 15% गिरावट आई थी। ढुलाई डिमांड घटने के कारण अप्रैल-जून तिमाही में  30% से ज्यादा ट्रक फ्लीट में कमी आई है। आमजन को क्रय क्षमता घटने के कारण उत्पादन से लेकर ढुलाई तक के धंधे चौपट हो रहे है!

6. व्यापार- विदेशी व्यापार आयात-निर्यात पर निर्भर करता है। निर्यात में 9.71% की कमी व आयात में 9% की कमी आई है। मतलब सीधा सा है कि विदेशी व्यापार भी सिमट रहा है।

मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप, स्मार्ट सिटी आदि सब मिडिया के विज्ञापन और कागजों में सिमट गए है। पूरी दुनियां की कोलम्बस की तरह खोज करने के बाद भी विदेशी निवेशकों ने भारत मे निवेश करने से परहेज किया है। विदेशी निवेश में भी भारी कमी आई है।

हिंदुत्व के एजेंडे, मोब लिंचिंग से हुई बदनामी व सरकारी नीतियों में अनिश्चितताओं की वजह से विदेशी निवेश तो छोड़िए देश के उद्योगपत्ति तक विदेशों में निवेश कर रहे है।

बीएसएनएल, एमटीएनएल, जेट एयरवेज, एयर इंडिया, ओएनजीसी आदि कई कंपनियां घाटे में चली गई व ऊपर से दिवालिया कानून का जीएसटी की तरह जिस अंदाज में महिमामंडन किया गया उसके बाद बैंकिंग सेक्टर कर्ज देने से पीछे हट गया।

आज सेना से लेकर रेलवे, ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन, हेल्थ आदि हर सेक्टर में विभिन्न बहानों के माध्यम से कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।

खेती लोग उसी गति से छोड़ रहे है मगर कहीं दूसरी जगह शिफ्टिंग के लिए कोई रोजगार का अवसर नहीं है। तमाम वादों व नारों के बीच खेती में निवेश करने में मोदी सरकार असफल रही है।

देश बेरोजगारी के बारूद पर खड़ा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर डूब रहा है। इसी तिमाही में जमशेदपुर में 30 स्टील प्लांट बंद हो चुके है! शहरों के मॉल खाली हो रहे है! किसान आत्महत्या में लगातार वृद्धि हो रही है। आमजन के पास इलाज के लिए पैसे नहीं है! स्कूल में बच्चों की ड्राप रेट बढ़ रही है!

सरकार को कुछ समझ मे नहीं आ रहा है कि इसका क्या रास्ता निकाला जाएं! अमेरिकी अर्थशास्त्री जॉन रिचर्ड ने कहा है कि भारत आर्थिक संकट में फंस चुका है।

हिटलर तब तक लोकप्रिय था जब तक जर्मनी पूरी तरह की आर्थिक स्थिति से बर्बाद नहीं हो गया था। 2014 के बाद 2019 में मोदी जी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और उसका एक ही कारण रहा है उन्मादी ब्राह्मणवाद (हिंदूवाद) व फर्जी राष्ट्रवाद!

मोदी सरकार 2014 में जिन वादों को लेकर सत्ता में आई थी उनमें से एक भी वादा पूर्ण रूप से लागू करने में नाकाम रही! पुलवामा हमले, सर्जिकल स्ट्राइक सरीखे देशभक्ति के खेल के माध्यम से दुबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही।
अब, जब देश आर्थिक संकट में फंसा और सच्चाई लोगों के सामने आने लगी तो उससे देश को उबारने के बजाय 370/35A पर कार्यवाही शुरू कर दी।

माना कि यह मुद्दा बीजेपी के घोषणापत्र में था व देश के लोग कश्मीर समस्या का समाधान हो मगर देश आर्थिक संकट में हो तब इससे बचना चाहिए थे। देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के बाद यह कार्य किया जा सकता था मगर डूबती अर्थव्यवस्था को तिनका देने के बजाय गर्त में धकेलने का कार्य इस मोड़ पर कर डाला!

भारत की जीडीपी 2019-20 में 5% से नीचे रहेगी व मार्च से देश का आर्थिक संकट दुनियाँ के सामने होगा।




India in economic crisis!



By the way what do the sheep have to do!



They have free data



And



 In the scorching sun and cold, the father's earned Phogat flour which is being found.



There are some aspects of the economy of any country, there are some areas which determine the condition and direction of GDP. In the Indian context, the manufacturing and service sector is the main pillar of GDP. After agriculture, the automobile sector is the most employable. The automobile sector is the largest sector in organized employment and real estate is the largest in organized employment.



If we want to see the economic growth and decline of India, then we should take a quick look at the following areas.



1. Banking Sector - Banking sector is stuck in economic crisis due to random loans and scams. The NPAs of banks in March 2014 stood at Rs 2.25 lakh crore, which increased by almost 8 times to Rs 9.49 lakh crore in 5 years i.e. April 2019!



On the one hand, in the Modi government, robbers were running abroad with money from banks, on the other hand, taking advantage of the proximity of power, they were taking more loans than total assets. Adani Group's total assets were worth 65 thousand crore rupees, at that time it was given a loan of 72 thousand crore rupees!



The government took out the Reserve Capital of RBI and pledged around 200 tonnes of the country's cash in gold Swiss banks! Overall, the banking sector is trying to contain itself rather than generate employment.



2. Real Estate- Real estate sector used to be the biggest shelter for those who left for agriculture for employment. The skilled-unskilled, engineer, mechanic, electrician, carpenter, plumber to industrialist engaged in this profession. Were. The banking and real estate sectors were complementary to each other.



Real estate was standing in the currency of weight and watch due to the uncertainty of the initial policies but demonetisation gave such a shock that the builders started selling water bottles and lakhs of laborers returned from the cities to the villages.



As it was, in an attempt to emerge from the demonetisation, the clutches of the clans imposed GST in such a way that the entire chain from cement, concrete, lead to sellers and buyers came under wraps! The situation has become that more than 12 lakh houses have been waiting for buyers to be built away!



As long as it was understood why real estate was sinking and GST was removed, elections were held and in the case of Amrapali and Unitech, on the other hand, the Supreme Court gave a decision that the government should take the houses in its own hands by the investors. Including the real estate sector has been locked out for five years!



3. Automobile sector- In the field of organized employment, the automobile sector and its related industries constitute 40% of the total organized sector. From April to July this year, 3.5 lakh people have lost jobs and it is expected that by March 2020, 10 lakh people will have to lose their jobs, who will not be able to carry Kavad Handi or Hajj in future. In the last 18 months, 286 showrooms in 271 cities have closed.



In July, Maruti has recorded a decline in sales of 33.5%, Mahindra's 15%, Hyundai's 10%, Toyota's 24%, Honda's 48.67%. Overall sales of all types of vehicles decreased by 12.35%! Jamshedpur unit of Tata Motors has been shut down and layoffs of 1000 subsidiaries have started!



People associated with automobile companies are going to meet in Mavalankar Hall of Delhi and will demand from the government to reduce GST, take back the increase in vehicle registration fees and instead of imposing various cess on oil when the price of crude oil falls in the world Reduce oil prices!



The chairman of the Bajaj Group said, "Neither demand, nor investment, will development fall from heaven?"



4. FMCG- The only company of Baba Ramdev, which was growing under the guise of Patanjali Dharma and Swadeshi, has also registered a decline of 10% this year. Many companies including Unilever have reduced their production and are retrenching employees. is!



Basant Maheshwari, co-founder of Basant Maheshwari Wealth Advisor said, "It's time to be careful when you can't even sell soap, shampoo, detergent!"



5. Transport - According to the report of Indian Federation of Transport, there was a 15% drop in truck rentals in 2018. The truck fleet has decreased by more than 30% in the April-June quarter due to reduced freight demand. Businesses from production to transportation are collapsing due to decreased purchasing power to the common man.



6. Trade- Foreign trade depends on import-export. There is a 9.71% decrease in exports and 9% decrease in imports. This means that foreign trade is also shrinking.



Make in India, start-up, smart city etc. have all been reduced to media advertisements and papers. Even after exploring the entire world like Columbus, foreign investors have avoided investing in India. Foreign investment has also come down drastically.



Due to uncertainties in Hindutva agenda, mob lynching and uncertainties in government policies, leave foreign investment, even industrialists of the country are investing abroad.



Many companies like BSNL, MTNL, Jet Airways, Air India, ONGC etc. went into losses and the banking sector stepped back from lending after the bankrupt law was glorified in the same way.



Today, jobs are given to employees through various excuses in every sector from Army to Railways, Transport, Education, Health etc.


Information of required numbers for each person

Information of required numbers for each person !!!

These are all toll free numbers.

_________



Police Service ------ 100



Fire Service ------ 101



Ambulance Service ------ 102



Traffic Police ----- 103



Disaster Management ------ 108



AIO Emergency Number --- 112



Railway Inquiry ------ 139



Women Helpline ---- 181



Anti-corruption ---- 1031



Highway Helpline - 1033



Rail accident ------- 1072



Road accident ----- 1073



CM Helpline ----- 1076



Women Power Line - 1090



Women Helpline - 1091



Earthquake ------ 1092



AIDS Helpline --- 1097



Children Helpline - 1098



Kisan Call Center-1551



Citizen Call Center 155300



Blood Bank - 9480044444



Please send to all groups.



Thank you



प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक  नम्बरों की  जानकारी!!!
यह सब टोल  फ्री नंबर हैं।
_________

पुलिस सेवा  ------    100

अग्नि  सेवा   ------    101

एम्बुलेंस  सेवा ------   102

ट्रैफिक  पुलिस -----    103

आपदा  प्रबंधन ------  108

AIO इमरजेंसी नंबर ---112

रेलवे  पूछताछ   ------ 139

वीमेन हेल्पलाइन ----  181

भ्रष्टाचार  विरोधी---- 1031

हाईवे हेल्पलाइन  --  1033

रेल  दुर्घटना  -------  1072

सड़क  दुर्घटना -----  1073

CM हेल्पलाइन ----- 1076

वीमेन पावर लाइन -- 1090

महिला  हेल्पलाइन --1091

पृथ्वी  भूकंप  ------ 1092

AIDS हेल्पलाइन --- 1097

चिल्ड्रेन हेल्पलाइन - 1098

किसान  काल  सेन्टर-1551

नागरिक  काल  सेन्टर 155300

ब्लड बैंक - 9480044444

कृपया  सभी  ग्रुप में भेजें।

धन्यवाद

Indian Youth Issues

Indian Youth Issues 
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इस देश के 18 से 35 वर्ष के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है? क्या कश्मीर? या राम मंदिर? या पाकिस्तान...?
या...उच्च शिक्षा में वंचित समुदाय के युवाओं के लिये घटते अवसर? रोजगार के घटते अवसर? अंध निजीकरण? श्रमिक अधिकारों पर लगातार हो रहे सुनियोजित हमले?

 जाहिर है, सैद्धांतिक जवाब तो यही होगा कि शिक्षा और रोजगार युवाओं के लिये सबसे बड़ी समस्या हैं जो हाल के दिनों में और गम्भीर हुई हैं।

लेकिन...गौर करने वाली बात यह है कि इस देश की सरकार ही नहीं, स्वयं युवा वर्ग इन समस्याओं को लेकर कितने संवेदनशील हैं।

 बीते एकाध महीने में कई मुद्दे सतह पर आए हैं। नई शिक्षा नीति का प्रस्तावित प्रारूप, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, तीन तलाक, रेलवे का निजीकरण,  कश्मीर में धारा 370...आदि।

अपने आप में हर मुद्दा अहमियत रखता है। लेकिन, मायने यह रखता है कि किस मुद्दे पर लोगों की कैसी प्रतिक्रिया रही। किस मुद्दे पर बहस कोलाहल में बदल गया और किस मुद्दे की कोई खास चर्चा तक नहीं हुई?

सड़कों, चाय की दुकानों से लेकर सोशल मीडिया तक तीन तलाक पर जितनी बहसें हुईं, पाकिस्तान पर जितनी बातें होती हैं, अभी धारा 370 पर जितनी बहसें हो रही हैं, उनकी तुलना में नई शिक्षा नीति, नेशनल मेडिकल कमीशन, निजीकरण आदि पर कितनी बहसें हुईं?

अभी, जब लोग कश्मीर मुद्दे को लेकर इस तरह उछल रहे हैं जैसे कोई जीत मिली हो ठीक उसी वक्त सूचनाएं आ रही हैं कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में 3 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं, रेलवे के निजीकरण वाया निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के संगठन सड़कों पर उतर रहे हैं, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल में ग्रामीण क्षत्रों को झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे करने की बातें हो रही हैं, मेडिकल शिक्षा को निम्न आय वर्ग तो क्या, मध्य वर्ग के प्रतिभाशाली युवाओं से दूर किया जा रहा है।

लेकिन, जीवन से जुड़े मुद्दों की कहीं कोई खास चर्चा नहीं।

जब अपने कॅरिअर, अपने भविष्य को लेकर युवा ही संवेदनशील नहीं हैं तो व्यवस्था क्यों संवेदनशील हो? सत्ता के लिये युवा वर्ग ही सबसे बड़ी चुनौती होता है इसलिये इस वर्ग को दिग्भ्रमित बनाए रखने के लिये सत्ता-संरचना हर सम्भव कोशिश करती है।

अंध निजीकरण युवाओं के भविष्य पर सबसे बड़ा आघात है। उच्च शिक्षा का कारपोरेटीकरण निम्न आय वर्ग के युवाओं के भविष्य को अंधेरों में धकेल देगा, इकोनॉमिक स्लोडाउन के कारण नौकरियां तो खत्म हो ही रही हैं, नई नौकरियों का सृजन भी नहीं हो रहा। इस आर्थिक दुर्व्यवस्था का सबसे बड़ा शिकार युवा वर्ग ही है।

वास्तविकता यह है कि रोजगार के क्षेत्र में त्राहि-त्राहि मची हुई है।

लेकिन, आश्चर्य है कि इन मुद्दों को लेकर कहीं बहस नहीं, जबकि कोलाहल होना चाहिये था, आंदोलन होना चाहिये था।

👉🏻 फिलहाल, कश्मीर का झुनझुना है। पहले मंदिर झुनझुना था। ऐसे ही कई तरह के झुनझुने हैं।  झुनझुने बदलते रहते हैं लेकिन उनकी आवाज वैसी ही रहती है। ऐसी आवाज...जिसमें अजीब सा नशा है। ऐसा नशा...जिसमें न अपना जीवन सूझता है, न अपना भविष्य सूझता है, न बाल बच्चों का भविष्य सूझता है।

 इन संदर्भों में हम बीते सौ वर्षों की सबसे अभिशप्त पीढ़ी हैं...जो अपने बाप-दादों के अथक संघर्षों और बलिदानों से अर्जित अधिकार तो गंवाते जा ही रहे हैं, अपने बच्चों के लिये भी अंधेरों का साम्राज्य रच रहे हैं।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक  नम्बरों की  जानकारी!!!
यह सब टोल  फ्री नंबर हैं।
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पुलिस सेवा  ------    100

अग्नि  सेवा   ------    101

एम्बुलेंस  सेवा ------   102

ट्रैफिक  पुलिस -----    103

आपदा  प्रबंधन ------  108

AIO इमरजेंसी नंबर ---112

रेलवे  पूछताछ   ------ 139

वीमेन हेल्पलाइन ----  181

भ्रष्टाचार  विरोधी---- 1031

हाईवे हेल्पलाइन  --  1033

रेल  दुर्घटना  -------  1072

सड़क  दुर्घटना -----  1073

CM हेल्पलाइन ----- 1076

वीमेन पावर लाइन -- 1090

महिला  हेल्पलाइन --1091

पृथ्वी  भूकंप  ------ 1092

AIDS हेल्पलाइन --- 1097

चिल्ड्रेन हेल्पलाइन - 1098

किसान  काल  सेन्टर-1551

नागरिक  काल  सेन्टर 155300

ब्लड बैंक - 9480044444

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धन्यवाद

Requested to stop the Kashmiri mothers telling their Wives


सभी से निवेदन है कि कश्मीरी माताओं बहनों को अपनी पत्नियां उप-पत्नियाँ बताना बन्द करें, किसी भी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के व्यक्ति की पोस्ट पर बार अभद्र तरीके से टिप्पणी न करें।

https://www.anxietyattak.com/2019/08/requested-to-stop-kashmiri-mothers.html

All are Requested to stop the Kashmiri mothers telling their wives their sub-wives, do not indulge in unwarranted comments on the post of a person of any religion or community person.

🎭
जम्मू कश्मीर में संविधान के Article 370और 35A के हटाने के इस ऐतिहासिक फैसले को सही साबित करना भी हमारी जिम्मेदारी है। 

भाषा का संयम बनाए रखें। कश्मीरवासियों को भी यह अहसास करवाएं कि हम इनके साथ है।

 प्लॉट खरीदने जैसे लालची उपहास या अब ससुराल कश्मीर में होगा जैसे घटिया संदेश बनाकर घृणा के बीज मत बोईये।  यह कोई क्रिकेट का मैच नहीं था जो कोई हार गया है और
उसे

"हार गया जी हार गया " 

कहकर चिढाओ। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर देश को एक रहना चाहिये।

 ऐसे फैसले कभी किसी पार्टी के हित-अहित के नहीं होते बल्कि देश के लिए होते है।

जिस दिलेरी और भाव से फैसला लिया गया है उसे सही साबित कीजिये। फब्तियां कभी भी मोहब्बत के बीज नहीं बो सकती, नफरत ही पैदा करेगी। ऐसा व्यवहार मत कीजिये जिसमें लगे कि किसी राज्य या देश पर विजय प्राप्त की है, बल्कि वो व्यवहार कीजिये जो यह अहसास कराये कि हम अपने ही घर में है

और कश्मीरी भी हमारे भाई हैं

देश को बधाई और शुभकामनाएँ


The comment made on Kashmiri's mother sisters demonstrates the conceptual mindset towards our women.



Turn off the business of selling land plots from the morning, please turn off the business too. The people of Kashmir are getting a clear message that some people of the country are destined for only two things,

One is the girls of Kashmir and the land there. The advantage of these messages can be raised by Pakistani-backed people.



If you agree with the government's decision then at least do not be a hindrance for them.



 It is a very historic decision.



Do not let this decision go into joke.



As a responsible citizen of India, I want to inform you that Pakistan-backed separatists have been active on the social media, these are the people who are not happy with the decision of the Indian Prime Minister and they are putting the wrong videos on social media. Before posting the video, be sure to check the veracity of the video.



This country is yours to celebrate, but keep an eye around you. At such a time, the responsibility of every Indian citizen increases and resist the terrorists, not the residents of the state of Kashmir.



  🇮🇳 Jai Hind Jai Bharat 🇮🇳



सभी से निवेदन है कि कश्मीरी माताओं बहनों को अपनी पत्नियां उप-पत्नियाँ बताना बन्द करें, किसी भी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के व्यक्ति की पोस्ट पर बार अभद्र तरीके से टिप्पणी न करें।

कशमीर की माँ बहनों पर की गई टिप्पणी हमारी स्त्रीयों के प्रति सुंकुचित मानसिकता को प्रदर्शित करती है।

सुबह से जमीन के प्लॉट ख़रीदने बेचने का जो धंधा चला रखा है उसे भी बन्द करें कृपया। कशमीर के लोगों को साफ़ सन्देश जा रहा है कि देश के कुछ लोगों की नियत सिर्फ और सिर्फ दो चीजों पर है ,
एक तो कश्मीर की लड़कियां और दूसरी वहाँ की जमीन। इन संदेशों का फायदा पाकिस्तानी समर्थित लोग उठा सकते हैं।

सरकार के फैसले से सहमत हैं तो कम से कम उनके लिए तो बाधा न बनें।

 फैसला लिया है वह बहुत ऐतिहासिक फैसला है।

इस फैसले को मजाक में ना जाने दें।

मैं एक भारत का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते आपको बताना चाहता हूं कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी समर्थित अलगाववादी सक्रिय हो चुके हैं यह वह लोग हैं जो भारतीय प्रधानमंत्री के निर्णय से खुश नहीं है और वह गलत वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं कृपया कोई भी वीडियो पोस्ट करने से पहले वीडियो की सबसे सत्यता अवश्य जांच लें।

यह देश आपका है खुशी मनाएं लेकिन अपने आसपास निगाह रखें। ऐसे समय में हर भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है आतंकवादियों का विरोध करें, कश्मीर राज्य के निवासीयों का नहीं।

  🇮🇳   जय हिंद जय भारत      🇮🇳


Truth of Life

प्रेरणादायक कहानी... जरूर पढ़ें


भोर के समुय सूर्यदेवता ने अपना प्रसार क्षेत्र विस्तृत करना आरंभ कर दिया था. सत्य कुमार बालकनी में आंखें मूंदे बैठे थे, तभी किचन से उनकी धर्मपत्नी सुधा चाय लेकर आई ।

“लो, ऐसे कैसे बैठे हो, अभी तो उठे हो, फिर आंख लग गई क्या? क्या बात है, तबियत ठीक नहीं लग रही है क्या?” सुधा ने मेज़ पर चाय की ट्रे रखते हुए पूछा. सत्य कुमार ने धीमे से आंखें खोलकर उन्हें देखा और पुन: आंखें मूंद लीं.

सुधा कप में चाय उड़ेलते हुए दबे स्वर में बोलने लगी,

“मुझे मालूम है, दीपू का वापस जाना आपको खल रहा है. मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है, लेकिन क्या करें. हर बार ऐसा ही होता है- बच्चे आते हैं, कुछ दिनों की रौनक होती है और वे चले जाते हैं.”

मेरठ यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रवक्ता और लेखक सत्य कुमार की विद्वत्ता उनके चेहरे से साफ़ झलकती थी. उनकी पुस्तकों से आनेवाली रॉयल्टी रिटायरमेंट के बाद पनपनेवाले अर्थिक अभावों को दूर फेंकने में सक्षम थी. उनके दो बेटों में छोटा सुदीप अपनी सहपाठिनी के साथ प्रेम -विवाह कर मुम्बई में सेटल हो गया था. विवाह के बाद वो उनसे ज़्यादा मतलब नहीं रखता था. बड़ा बेटा दीपक कंप्यूटर इंजीनियर था. उसने अपने माता-पिता की पसंद से अरेन्ज्ड मैरिज की थी. उसकी पत्नी मधु सुंदर, सुशील और हर काम में निपुण, अपने सास-ससुर की लाडली बहू थी. दीपक और मधु कुछ वर्षों से लंदन में थे और दोनों वहीं सेटल होने की सोच रहे थे. 

दीपक का लंदन रुक जाना सत्य कुमार को अच्छा नहीं लगा, मगर सुधा ने उन्हें समझा दिया था कि अपनी ममता को बच्चों की तऱक़्क़ी के आड़े नहीं लाना चाहिए और वैसे भी वो लंदन रहेगा तो भी क्या, आपके रिटायरमेंट के बाद हम ही उसके पास चले जाएंगे. दीपक और मधु उनके पास साल में एक बार 10-15 दिनों के लिए अवश्य आते और उनसे साथ लंदन चलने का अनुरोध करते. मधु जितने दिन वहां रहती, अपने सास-ससुर की ख़ूब सेवा करती.

आज सत्य कुमार को रिटायर हुए पूरे दो वर्ष हो चुके थे, मगर इन दो वर्षों में दीपक ने उन्हें लंदन आने के लिए भूले से भी नहीं कहा था. सुधा उनसे बार-बार ज़िद किया करती थी, ‘चलो हम ही लंदन चलें’, लेकिन वो बड़े ही स्वाभिमानी व्यक्ति थे और बिना बुलावे के कहीं जाना स्वयं का अपमान समझते थे.

उनकी बंद आंखों के पीछे कल रात के उस दृश्य की बारम्बार पुनरावृत्ति हो रही थी, जो उन्होंने दुर्भाग्यवश अनजाने में देखा था… दीपक और मधु अपने कमरे में वापसी के लिए पैकिंग कर रहे थे, दोनों में कुछ बहस छिड़ी हुई थी,

“देखो-तुम भूले से भी मम्मी-पापा को लंदन आने के लिए मत कहना, वो दोनों तो कब से तुम्हारी पहल की ताक में बैठे हैं, मुझसे उनके नखरे नहीं उठाए जाएंगे… मुझे ही पता है, मैं यहां कैसे 15-20 दिन निकालती हूं. सारा दिन नौकरानियों की तरह पिसते रहो, फिर भी इनके नखरे ढीले नहीं होते. चाहो तो हर महीने कुछ पैसे भेज दिया करो, हमें कहीं कोई कमी नहीं आएगी…” मधु बार-बार गर्दन झटकते हुए बड़बड़ाए जा रही थी.

“कैसी बातें कर रही हो? मुझे तुम्हारी उतनी ही चिन्ता है जितनी कि तुम्हें. तुम फ़िक्र मत करो, मैं उनसे कभी नहीं कहूंगा. मुझे पता है, पापा बिना कहे लंदन कभी नहीं आएंगे.”

दीपक मधु के गालों को थपथपाता हुआ उसे समझा रहा था.

“मुझे तो ख़ुद उनके साथ एडजस्ट करने में द़िक़्क़त होती है. वे अभी भी हमें बच्चा ही समझते हैं. अपने हिसाब से ही चलाना चाहते हैं. समझते ही नहीं कि उनकी लाइफ़ अलग है, हमारी लाइफ़ अलग… उनकी इसी आदत की वजह से सुदीप ने भी उनसे कन्नी काट ली…” दीपक धाराप्रवाह बोलता चला जा रहा था. दोनों इस बात से बेख़बर थे कि दरवाज़े के पास खड़े सत्य बुत बने उनके इस वार्तालाप को सुन रहे थे.

सत्य कुमार सन्न थे… उनका मस्तिष्क कुछ सोचने-समझने के दायरे से बाहर जा चुका था, अत: वो उन दोनों के सामने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पाए. उनको सी-ऑफ़ करने तक का समय उन्होंने कैसे कांटों पर चलकर गुज़ारा था, ये बस उनका दिल ही जानता था. दीपक और मधु जिनकी वो मिसाल दिया करते थे, उन्हें इतना बड़ा धोखा दे रहे थे… जाते हुए दोनों ने कितने प्यार और आदर के साथ उनके पैर छुए थे. ये प्यार… ये अपनापन… सब दिखावा… छि:… उनका मन पुन: घृणा और क्षोभ से भर उठा. वो यह भी तय नहीं कर पा रहे थे कि सुधा को इस बारे में बताएं अथवा नहीं, ये सोचकर कि क्या वो यह सब सह पाएगी… सत्य बार-बार बीती रात के घटनाक्रम को याद कर दुख के महासागर में गोते लगाने लगे.

समय अपनी ऱफ़्तार से गुज़रता जा रहा था, मगर सत्य कुमार का जीवन जैसे उसी मोड़ पर थम गया था. अपनी आन्तरिक वेदना को प्रत्यक्ष रूप से बाहर प्रकट नहीं कर पाने के कारण वो भीतर-ही-भीतर घुटते जा रहे थे. उस घटना के बाद उनके स्वभाव में भी काफ़ी नकारात्मक परिवर्तन आ गया. दुख को भीतर-ही-भीतर घोट लेने के कारण वे चिड़चिड़े होते जा रहे थे. बच्चों से मिली उपेक्षा से स्वयं को अवांछित महसूस करने लगे थे. धीरे-धीरे सुधा भी उनके दर्द को महसूस करने लगी. दोनों मन-ही-मन घुटते, मगर एक-दूसरे से कुछ नहीं कहते. लेकिन अभी भी उनके दिल के किसी कोने में उम्मीद की एक धुंधली किरण बाकी थी कि शायद कभी किसी दिन बच्चों को उनकी ज़रूरत महसूस हो और वो उन्हें जबरन अपने साथ ले जाएं, ये उम्मीद ही उनके अंत:करण की वेदना को और बढ़ा रही थी.

एक दिन सत्य कुमार किसी काम से हरिद्वार जा रहे थे. उन्हें चले हुए 3-4 घंटे हो चुके थे, तभी कार से अचानक खर्र-खर्र की आवाज़ें आने लगीं. इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते, कार थोड़ी दूर जाकर रुक गई और दोबारा स्टार्ट नहीं हुई. सिर पर सूरज चढ़कर मुंह चिढ़ा रहा था. पसीने से लथपथ सत्य लाचार खड़े अपनी कार पर झुंझला रहे थे.

“थोड़ा पानी पी लीजिए.” सुधा पानी देते हुए बोली “काश, कहीं छाया मिल जाए.” सुधा साड़ी के पल्लू से मुंह पोंछती हुई इधर-उधर नज़रें दौड़ाने लगी.

“मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा है… ये सब हमारे साथ ही क्यों होता है…? क्या भगवान हमें बिना परेशान किए हमारा कोई काम पूरा नहीं कर सकता?” ख़ुद को असहाय पाकर सत्य कुमार ने भगवान को ही कोसना शुरू कर दिया.

“देखो, वहां दूर एक पेड़ है, वहां दो-तीन छप्पर भी लगे हैं, वहीं चलते हैं. शायद कुछ मदद मिल जाए…” सुधा ने दूर एक बड़े बरगद के पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा. दोनों बोझिल क़दमों से उस दिशा में बढ़ने लगे.
वहां एक छप्पर तले चाय की छोटी-सी दुकान थी, जिसमें दो-तीन टूटी-फूटी बेंचें पड़ी थीं. उन पर दो ग्रामीण बैठे चाय पी रहे थे. वहीं पास में एक बुढ़िया कुछ गुनगुनाती हुई उबले आलू छील रही थी. दुकान में एक तरफ़ एक टूटे-फूटे तसले में पानी भरा था, उसके पास ही अनाज के दाने बिखरे पड़े थे. कुछ चिड़िया फुदककर तसले में भरा पानी पी रही थीं और कुछ बैठी पेटपूजा कर रही थीं. साथ लगे पेड़ से बार-बार गिलहरियां आतीं, दाना उठातीं और सर्र से वापस पेड़ पर चढ़ जातीं. पेड़ की शाखाओं के हिलने से ठंडी हवा का झोंका आता जो भरी दोपहरी में बड़ी राहत दे रहा था. शाखाओं के हिलने से, पक्षियों की चहचहाहट से, गिलहरियों की भाग-दौड़ से उपजे मिश्रित संगीत की गूंज अत्यंत कर्णप्रिय लग रही थी. सुधा आंखें मूंदे इस संगीत का आनंद लेने लगी.

“क्या चाहिए बाबूजी, चाय पीवो?”

बुढ़िया की आवाज़ से सुधा की तंद्रा टूटी. वो सत्य कुमार की ओर देखते हुए बोली,

“आप चाय के साथ कुछ लोगे क्या?”

“नहीं.” सत्य कुमार ने क्रोध भरा टका-सा जवाब दिया.

"बाबूजी, आपकी सकल बतावे है कि आप भूखे भी हो और परेसान भी, खाली पेट तो रत्तीभर परेसानी भी पहाड़ जैसी दिखे है. पेट में कुछ डाल लो. सरीर भी चलेगा और दिमाग़ भी, हा-हा-हा…” बुढ़िया इतना कह कर खुलकर हंस पड़ी.

बुढ़िया की हंसी देखकर सत्य कुमार तमतमा गए. लो पड़ गई आग में आहुति, सुधा मन में सोचकर सहम गई. वो मुंह से कुछ नहीं बोले, लेकिन बुढ़िया की तरफ़ घूरकर देखने लगे.
बुढ़िया चाय बनाते-बनाते बतियाने लगी,

“बीबीजी, इस सुनसान जगह में कैसे थमे, क्या हुआ?”

"दरअसल हम यहां से गुज़र रहे थे कि हमारी गाड़ी ख़राब हो गयी. पता नहीं यहां आसपास कोई मैकेनिक भी मिलेगा या नहीं.” सुधा ने लाचारी प्रकट करते हुए पूछा.

“मैं किसी के हाथों मैकेनिक बुलवा लूंगी. आप परेसान ना होवो.” बुढ़िया उन्हें चाय और भजिया पकड़ाते हुए बोली.

“अरे ओ रामसरन, इधर आइयो…” बुढ़िया दूर खेत में काम कर रहे व्यक्ति की ओर चिल्लाई. “भाई, इन भले मानस की गाड़ी ख़राब हो गयी है, ज़रा टीटू मैकेनिक को तो बुला ला… गाड़ी बना देवेगा…इस विराने में कहां जावेंगे बिचारे.” बुढ़िया के स्वर में ऐसा विनयपूर्ण निवेदन था जैसे उसका अपना काम ही फंसा हो.

_बाबूजी चिन्ता मत करो, टीटू ऐसा बच्चा है, जो मरी कैसी भी बिगड़ी गाड़ी को चलता कर देवे है.” इतना कह बुढ़िया चिड़ियों के पास बैठ ज्वार-बाजरे के दाने बिखेरने लगी. “अरे मिठ्ठू, आज मिठ्ठी कहां है?” वो एक चिड़िया से बतियाने लगी.
सत्य को उसका यह व्यवहार कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा था. ऐसी बुढ़िया जिसकी शारीरिक और भौतिक अवस्था अत्यंत जर्जर है, उसका व्यवहार, उसकी बोलचाल इतनी सहज, इतनी उन्मुक्त है जैसे कभी कोई दुख का बादल उसके ऊपर से ना गुज़रा हो, कितनी शांति है उसके चेहरे पर.

“माई, तुम्हारा घर कहां है? यहां तो आसपास कोई बस्ती नज़र नहीं आती, क्या कहीं दूर रहती हो?” सत्य कुमार ने विनम्रतापूर्वक प्रश्‍न किया.

“बाबूजी, मेरा क्या ठौर-ठिकाना, कोई गृहसती तो है ना मेरी, जो कहीं घर बनाऊं? सो यहीं इस छप्पर तले मौज़ से रहू हूं. भगवान की बड़ी किरपा है.” सत्य कुमार का ध्यान बुढ़िया के मुंह से निकले 'मौज़’ शब्द पर अटका. भला कहीं इस शमशान जैसे वीराने में अकेले रहकर भी मौज़ की जा सकती है. वो बुढ़िया द्वारा कहे गए कथन का विश्‍लेषण करने लगे, उन्हें इस बुढ़िया का फक्कड़, मस्ताना व्यक्तित्व अत्यंत रोचक लग रहा था.

“यहां निर्जन स्थान पर अकेले कैसे रह लेती हो माई, कोई परेशानी नहीं होती क्या?” सत्य कुमार ने उत्सुकता से पूछा.

“परेसानी…” बुढ़िया क्षण भर के लिए ठहरी, “परेसानी काहे की बाबूजी, मजे से रहूं हूं, खाऊं हूं, पियूं हूं और तान के सोऊं हूं… देखो बाबूजी, मानस जन ऐसा प्रानी है, जो जब तक जिए है परेसानी-परेसानी चिल्लाता फिरे है, भगवान उसे कितना ही दे देवे, उसका पेट नहीं भरे है. मैं पुछू हूं, आख़िर खुस रहने को चाहवे ही क्या, ज़रा इन चिड़ियों को देखो, इन बिचारियों के पास क्या है. पर ये कैसे खुस होकर गीत गावे हैं.”

सत्य कुमार को बुढ़िया की सब बातें ऊपरी कहावतें लग रही थीं.

“पर माई, अकेलापन तो लगता होगा ना?” सत्य कुमार की आंखों में दर्द झलक उठा.

“अकेलापन काहे का बाबूजी, दिन में तो आप जैसे भले मानस आवे हैं. चाय पीने वास्ते, गांववाले भी आते-जाते रहवे हैं और ये मेरी चिड़कल बिटिया तो सारा दिन यहीं डेरा डाले रखे है.” बुढ़िया पास फुदक रही चिड़ियों पर स्नेहमयी दृष्टि डालते हुए बोली.

क्या इतना काफ़ी है अकेलेपन के एहसास पर विजय प्राप्त करने के लिए, सत्य कुमार के मन में विचारों का मंथन चल रहा था. उनके पास तो सब कुछ है- घर-बार, दोस्तों का अच्छा दायरा, उनके सुख-दुख की साथी सुधा, फिर क्यों उन्हें मात्र बच्चों की उपेक्षा से अकेलेपन का एहसास सांप की तरह डसता है?

"अकेलापन, परेसानी, ये सब फालतू की बातें हैं बाबूजी. जिस मानस को रोने की आदत पड़ जावे है ना, वो कोई-ना-कोई बहाना ढूंढ़ ही लेवे है रोने का.” बुढ़िया की बातें सुन सत्य कुमार अवाक् रह गए. उन्हें लगा जैसे बुढ़िया ने सीधे-सीधे उन्हीं पर पत्थर दे मारा हो.

क्या सचमुच हर व़क़्त रोना, क़िस्मत को और दूसरों को दोष देना उनकी आदत बन गई है? क्यों उनका मन इतना व्याकुल रहता है…? सत्य कुमार के मन में उद्वेगों का एक और भंवर चल पड़ा.

“माई, तुम्हारा घर-बार कहां है, कोई तो होगा तुम्हारा सगा-संबंधी?” सत्य कुमार ने अपनी पूछताछ का क्रम ज़ारी रखा.

बुढ़िया गर्व से गर्दन अकड़ाते हुए बोली,

“है क्यों नहीं बाबूजी, पूरा हरा-भरा कुनबा है मेरा. भगवान सबको बरकत दे. बाबूजी, मेरे आदमी को तो मरे ज़माना बीत गया. तीन बेटे और दो बेटियां हैं मेरी. नाती-पोतोंवाली हूं, सब सहर में बसे हैं और अपनी-अपनी गृहस्ती में मौज करे हैं.” बुढ़िया कुछ देर के लिए रुककर फिर बोली,

“मेरा एक बच्चा फौज में था, पिछले साल कसमीर में देस के नाम सहीद हो गया. भगवान उसकी आतमा को सान्ति देवे.”

बुढ़िया की बात सुन दोनों हतप्रभ रह गए और एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे. इतनी बड़ी बात कितनी सहजता से कह गई थी वो और उसके चाय बनाने के क्रम में तनिक भी व्यवधान नहीं पड़ा था. वो पूरी तरह से सामान्य थी. ना चेहरे पर शिकन…. ना आंखों में नमी…

क्या इसे बच्चों का मोह नहीं होता? सत्य कुमार मन-ही-मन सोचने लगे,

“तुम अपने बेटों के पास क्यों नहीं रहती हो?” उन्होंने एक बड़े प्रश्‍नचिह्न के साथ बुढ़िया से पूछा.

"नहीं बाबूजी… अब कौन उस मोह-माया के जंजाल में उलझे… सब अपने-अपने ढंग से अपनी गृहस्ती चलावे हैं. अपनी-अपनी सीमाओं में बंधे हैं. मैं साथ रहन लगूंगी, तो अब बुढ़ापे में मुझसे तो ना बदला जावेगा, सो उन्हें ही अपने हिसाब से चलाने की कोसिस करूंगी. ख़ुद भी परेसान रहूंगी और उन्हें भी परेसान करूंगी. मैं तो यहीं अपनी चिड़कल बिटियों के साथ भली….” बुढ़िया दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए बोली. “अरे मेरी बिट्टू आ गई, आज तेरे बच्चे संग नहीं आए? कहीं तेरा साथ छोड़ फुर्र तो नहीं हो गये?” बुढ़िया एक चिड़िया की ओर लपकी.

“बाबूजी, देखो तो मेरी बिट्टू को… इसके बच्चे इससे उड़ना सीख फुर्र हो गए, तो क्या ये परेसान हो रही है? रोज़ की तरह अपना दाना-पानी लेने आयी है और चहके भी है. ये तो प्रकृति का नियम है बाबूजी, ऐसा ही होवे है. इस बारे में सोच के क्या परेसान होना.”

बुढ़िया ने सीधे सत्य और सुधा की दुखती रग पर हाथ रख दिया. यही तो था उनके महादुख का मूल, उनके बच्चे उड़ना सीख फुर्र हो गए थे.

“बाबूजी, संसार में हर जन अकेला आवे है और यहां से अकेला ही जावे है. भगवान हमारे जरिये से दुनिया में अपना अंस (अंश) भेजे हैं, मगर हम हैं कि उसे अपनी जायदाद समझ दाब लेने की कोसिस करे हैं. सो सारी ऊमर उसके पीछे रोते-रोते काट देवे हैं. जो जहां है, जैसे जीवे है जीने दो और ख़ुद भी मस्ती से जीवो. ज़ोर-ज़बरदस्ती का बन्धन तो बाबूजी कैसा भी हो, दुखे ही है. प्यार से कोई साथ रहे तो ठीक, नहीं तो तू अपने रस्ते मैं अपने रस्ते…” बुढ़िया एक दार्शनिक की तरह बेफ़िक्री-से बोले चली जा रही थी और वो दोनों मूक दर्शक बने सब कुछ चुपचाप सुन रहे थे. उसकी बातें सत्य कुमार के अंतर्मन पर गहरी चोट कर रही थी.

ये अनपढ़ मरियल-सी बुढ़िया ऐसी बड़ी-बड़ी बातें कर रही है. इस ढांचा शरीर में इतना प्रबल मस्तिष्क. क्या सचमुच इस बुढ़िया को कोई मानसिक कष्ट नहीं है…? बुढ़िया के कड़वे, लेकिन सच्चे वचन सत्य कुमार के मन पर भीतर तक असर डाल रहे थे.

“लो रामसरन आ गया.” बुढ़िया की उत्साहपूर्ण आवाज़ से दोनों की ध्यानमग्नता टूटी.
आज सत्य कुमार को बुढ़िया के व्यक्तित्व के सामने स्वयं का व्यक्तित्व बौना प्रतीत हो रहा था. आज महाज्ञानी सत्य कुमार को एक अनपढ़, अदना-सी बुढ़िया से तत्व ज्ञान मिला था. आज बुढ़िया का व्यवहार ही उन्हें काफ़ी सीख दे गया था. सत्य कुमार महसूस कर रहे थे जैसे उनके चारों ओर लिपटे अनगिनत जाले एक-एक करके हटते जा रहे हों. अब वो अपने अंतर्मन की रोशनी में सब कुछ स्पष्ट देख पा रहे थे. जो पास नहीं हैं, उसके पीछे रोते-कलपते और जो है उसका आनंद न लेने की भूल उन्हें समझ आ गई थी.

“बाबूजी, कार ठीक हो गई है.” मैकेनिक की आवाज़ से सत्य कुमार विचारों के आकाश से पुन: धरती पर आए.

“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.” सत्य कुमार ने मुस्कुराहट के साथ मैकेनिक
का अभिवादन किया. उनके चेहरे से दुख और परेशानी के भाव गायब हो चुके थे. दोनों कार में बैठ गए. सत्य ने वहीं से बुढ़िया पर आभार भरी दृष्टि डाली और कार वापस घुमा ली.

“अरे, यह क्या, हरिद्वार नहीं जाना क्या?” सुधा ने घबराकर पूछा.

“नहीं.” सत्य कुमार ने बड़े ज़ोश के साथ उत्तर दिया. “हम हरिद्वार नहीं जा रहे हैं.” थोड़ा रुककर पुन: बोले, “हम मसूरी जा रहे हैं घूमने-फिरने. काम तो चलते ही रहते हैं. कुछ समय अपने लिए भी निकाला जाए.”

सत्य कुमार कुछ गुनगुनाते हुए ड्राइव कर रहे थे और सुधा उन्हें विस्मित् नेत्रों से घूरे जा रही थी...

अब आप मानें या न मानें, किन्तु जीवन का सत्य यही है।

https://www.anxietyattak.com/2019/08/truth-of-life.html

प्रेरणादायक कहानी... जरूर पढ़ें

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Today everybody recalls the meltdown recession

आज हर आदमी मंदी मंदी मंदी...और गरीबी गरीबी गरीबी का रोना रो रहा है...जबकि मंदी कहीं पर भी नजर नही आरही है ....!!*
असली बात कोई और ही है...जिसको कोई उजागर नही कर रहा है...सभी इसे स्टेटस सिंबल मान कर चल रहें हैं...और वास्तविकता को पूरी तरह से नजरअंदाज एवं नकार रहें हैं...!!*
विगत वर्षों में अधिकतम घरों की आर्थिक स्थिति क्यो बिगड़ी है...??*
उसके प्रमुख कारण:*
1-घर मे प्रत्येक सदस्य के पास स्मार्ट फोन होना...इसके अलावा प्रत्येक वर्ष नया लाना...!!*
2-जन्म दिन विवाह की वर्ष गांठ एवम अन्य वार...त्योहारों वगैरह में अंधाधुंध दिखावटी खर्चे...!!*
3-जीवन शैली में बदलाव के कारण खर्चे का दोगुना तिगुना बढ जाना...!!*
4-बच्चों को सरकारी स्कूलो मे न पढाकर महंगे से महंगे प्राइवेट स्कूलो मे पढाना...ऊपर से ट्यूशन कराना...उस पर होने वाला भारी शिक्षण खर्च...जबकि प्राइवेट स्कूलो मे पढाने के बाद टयुशन की क्या जरूरत....??*
5- व्यक्तिगत अन्धाधुन्ध खर्चे...buty parler, सैलून, ब्रांडेड कपड़ा...पार्टी...खर्चीले जन्मदिन...गेट टूगेदर...आदि आदि...!!*
6- हर सदस्य के लिये अलग अलग टुव्हीलर...फोरव्हीलर गाड़ी आदि के कारण...!!*
7-सगाई...शादी जैसै कार्यक्रम बड़े बड़े महंगे से महंगे रिसोर्ट...आदि में होना एवम गांव से बाहर बड़े बड़े शहरों मे करना...यह सब प्रतिष्ठा की भूख के कारण होने वाले खर्चे...!!*
उसमे भी Celebraties को टिकट बनाकर किराये पर लाना एवम उनकी आवभगत करना...!!*
8- घर मकान दुकान गाड़ी मोटर लोन पर दिया जाने वाला ब्याज एवम मूल धन का खर्च...!!*
9- मेडिकल खर्चोमे बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी...कारण गलत खान पान...!!*
पहले एक ही डाक्टर सब कुछ देख लेता था...लेकिन अब हर बीमारी का अलग से स्पेशलिस्ट...!!*
इस तरह के बिना जरूरत के खर्चो के अनुरूप कमाई बढ़ नही रही है। और खर्चे देखा देखी बढा रहे है...!!*
परिणाम: तनाव तनाव तनाव...!!*
बिना जरूरत के खर्चे कम से कम करे...!!*
जरूरत रोटी, कपड़ा,और मकान की थी...है...और रहेंगी...!!*
परंतु*
रोटी शरीर चलाने के लिये नही दिखाने के लिये खा रहे है...!!*
कपड़े अंग ढकने के लिये नही...लोगों को दिखाने के लिये पहन रहे है और...!!*
मकान रहने के लिये नही...लोगों को दिखाने के लिये बना रहे है और कर्ज दार बन रहे है...!!*
*इच्छाएं अनन्त हैं..


Today everybody recalls the meltdown recession ... and poverty poverty is crying poverty ... while the recession has not been observed anywhere .... !! *
The real thing is anyone else ... no one is exposing whom ... all are counting it as status symbols ... and completely ignoring reality and rejecting ... !! *
In the past years, the economic situation of the maximum houses is deteriorating ... ?? *
Its main reason: *
1-Every member in the house has a smart phone ... besides bringing new ones every year ... !! *
2-day birth anniversary of marriage and other war ... indiscriminate expenditure in festivals, etc .. !! *
3-Due to change in lifestyle, double the cost of tripling of expenses ... !! *
4- Studying in expensive private schools by not reading the children in government schools, doing higher tuition ... spending on heavy teaching expenses ... while studying in private schools, what is the need for tuition? . ?? *
5- Personal blind expenses ... buty parler, salon, branded cloth ... party ... expensive birthday ... gate toguard ... etc etc ... !! *
6- Separate towels for every member ... due to the forewheels train ... !! *
7-Engagement ... Marriage such programs from big expensive to expensive resorts ... etc. and to do big cities outside the village ... all the expenses due to reputation hunger ... !! *
In addition to making the tickets for the celebrations, renting and hiring them ... !! *
8- HOUSEHOLD SHOP DESCRIPTION OF INTEREST AND MONEY MONEY ON THE MOTOR LONE ... !! *
9- Medical expenditure too much ... due to wrong eating habits ... !! *
Earlier, the same doctor used to see everything ... but now every specialty specialist of every disease ... !! *
Earnings are not growing according to the costs of this kind without need. More expenses are seen seeing ... !! *
Result: Stress Stress Stress ... !! *
Minimize the expenses without need ... !! *
Needed bread, cloth, and house was ... ... and will stay ... !! *
but*
The bread is not eating to show the body ... !!
Cloth is not to cover the limbs ... people are wearing to show and ... !! *
No house to live ... people are making it to show and debt is becoming ... !! *
* Desires are eternal ..

Raja Means King

एक व्यापारी अकबर के समय मे बिजनेस करता था।
महाराणा प्रताप से लडाई  की वजह से अकबर कंगाल हो गया और व्यापारी  से कुछ सहायता मांगी।
व्यापारी ने अपना सब धन अकबर को दे दिया।
तब अकबर ने उससे पुछा कि तुमने इतना धन कैसे कमाया, सच सच बताओ नहीं तो फांसी दे दुंगा।

 व्यापारी बोला-जहांपनाह मैंने यह सारा धन कर चोरी और मिलावट से कमाया है।
यह सुनकर अकबर ने बीरबल से सलाह करके व्यापारी  को घोडो के अस्तबल मे लीद साफ करने की सजा सुनाई।
 व्यापारी वहां काम करने लगा।

दो साल बाद फिर अकबर लडाई मे कंगाल हो गया तो बीरबल से पूछा अब धन की व्यवस्था कौन करेगा?
बीरबल ने कहा बादशाह उस व्यापारी से बात करने से समस्या का समाधान हो सकता है। तब अकबर ने फिर व्यापारी  को बुलाकर अपनी परेशानी बताई तो  व्यापारी  ने फिर बहुत सारा धन अकबर को दे दिया।

अकबर ने पुछा तुम तो अस्तबल  मे काम करते हो फिर तुम्हारे पास इतना धन कहां से आया सच सच बताओ नहीं तो सजा मिलेगी। 

 व्यापारी   ने कहा यह धन मैने आप के आदमी जो घोडों की देखभाल करते है उन से यह कहकर रिश्वत लिया है कि घोडे आजकल लीद कम कर रहे है। मैं इसकी शिकायत बादशाह को करुगां क्योंकि तुम घोडो को पुरी खुराक नहीं देते हौ ओर पैसा खजाने से पूरा उठाते हो।

अकबर फिर नाराज हुआ और   व्यापारी  से कहा कि तुम कल से अस्तबल में काम नही करोगे। कल से तुम समुन्दर् के किनारे उसकी लहरे गिनो और मुझे बताऔ।

दो साल बाद

अकबर फिर लडाई में कंगाल।
चारो तरफ धन का अभाव।
 किसी के पास धन नहीं।

बीरबल और अकबर का माथा काम करना बंद। अचानक बीरबल को  व्यापारी की याद आई। बादशाह को कहा आखरी उम्मीद व्यापारी  दिखता है आप की इजाजत हो तो बात करू।

 बादशाह का गरूर काफुर बोला किस मुंह से बात करें दो बार सजा दे चुकें हैं।

दोस्तो  व्यापारी  ने फिर बादशाह को इतना धन दिया कि खजाना पूरा भर दिया।
बादशाह ने डरते हुऐ धन कमाने का तरीका पूछा तो व्यापारी ने बादशाह को धन्यवाद दिया और कहा इस बार धन विदेश से आया है क्योकि मैने उन सब को जो विदेश से आतें हैं आप का फरमान दिखाया कि जो कोई मेरे लहरे गिनने के काम में अपने नाव से बाधा करेगा बादशाह उसे सजा देंगें।
 सब डर से धन देकर गये और जमा हो गया।

कहानी का सार
सरकार  व्यापारी  से ही चलती है
चाहे अकबर के जमाने की हो या आज की

इसलिये प्लीज

व्यापारियों को तंग ना करे

🙏🙏

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जम्मू कश्मीर में संविधान के Article 370और 35A के हटाने के इस ऐतिहासिक फैसले को सही साबित करना भी हमारी जिम्मेदारी है।  भाषा का संयम बनाए रखें। कश्मीरवासियों को भी यह अहसास करवाएं कि हम इनके साथ है। प्लॉट खरीदने जैसे लालची उपहास या अब ससुराल कश्मीर में होगा जैसे घटिया संदेश बनाकर घृणा के बीज मत बोईये।  यह कोई क्रिकेट का मैच नहीं था जो कोई हार गया है और उसे "हार गया जी हार गया " कहकर चिढाओ। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर देश को एक रहना चाहिये।

 ऐसे फैसले कभी किसी पार्टी के हित-अहित के नहीं होते बल्कि देश के लिए होते है। जिस दिलेरी और भाव से फैसला लिया गया है उसे सही साबित कीजिये। फब्तियां कभी भी मोहब्बत के बीज नहीं बो सकती, नफरत ही पैदा करेगी। ऐसा व्यवहार मत कीजिये जिसमें लगे कि किसी राज्य या देश पर विजय प्राप्त की है, बल्कि वो व्यवहार कीजिये जो यह अहसास कराये कि हम अपने ही घर में है और कश्मीरी भी हमारे भाई हैं

देश को बधाई और शुभकामनाएँ



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एक बाप स्ट्रेचर पर तडपते हुए अपने बेटे को दिलासा दिला रहा था कि

"बेटा मैं हूँ न ,सब ठीक हो जाएगा

बस तुम्हारी MRI होना बाकी है
फिर डॉक्टर तुम्हारा इलाज शुरू कर ....."

वो बदकिस्मत बाप अपनी बात पूरी कर पाता उस से पहले ही स्ट्रेचर पर पड़े उसके बेटे को एक भयानक दौरा पड़ा।

बात बीच में छोड़ कर वो उसकी पीठ पर थप्पी मारने लगा।

अपने इक्लोते बेटे को यूँ तडपते हुए देख उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे 6 फिट लम्बाई लम्बा चोडा शरीर था उसका

लेकिन अपने बेटे की दुर्दशा देख उसका सारा पोरुष पिघल गया।

बच्चो की माफिक रोने लगा।

उसे उम्मीद थी कि जल्द उसके बेटे की MRI हो जायेगी।
फिर उसको हुई बिमारी का पता चल जाएगा और उसका काम हो जाएगा।

होगा क्यों नहीं ? राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल SMS में जो आया था सारी उम्मीद लेकर आया था।

लेकिन पिछले 1 घंटे से उसका नंबर न आया।
आता भी कैसे ?

अन्दर पहले से MRI करवाने वालो की भीड़ जो थी।
एक MRI में करीब आधा घंटा लगता है।
और 50 संवेदनहीन लोग उस से पहले लाइन लगा के बेठे थे।

और मशीन 24 घंटे चलती तब भी उसका नंबर शायद 2वे दिन आता।

जयपुर का
या कहें राजस्थान का सबसे बड़ा अस्पताल !!

राजस्थान को सवाई मानसिंह जी का दिया हुआ उपहार !!

देश के नामी गिरामी विशेषज्ञों से लेस अस्पताल !!

लेकिन यहाँ महज एक MRI की मशीन है !!!

दूसरी मशीन खराब पड़ी है।
जिसे सुधारने के लिए चीन भेजा जाएगा

हम 21 वि सदी में हैं

हमारी GDP की रफ़्तार सभी देशो को मात दे रही है।

हमने सबसे सस्ता मंगल यान अन्तरिक्ष में भेज दिया।

हर महीने हर सप्ताह हमारा इसरो नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

हमें न्युक्लिर मिसाइल ग्रुप की सदस्यता मिलने वाली है।

हम तेजस जैसे हलके लड़ाकू विमान बना रहे हैं।
पंडूबियाँ बना रहे हैं।

लेकिन हमारे अस्पतालों में Xray मशीन नहीं हैं

MRI मशीन नहीं हैं।

होंगी भी कैसे ?

यहाँ MRI मशीन बनाने की तकनीक है ही नहीं

न ही उसके खराब होने पर उसे सुधारने की कोई तकनीक है।

आपको बता दूँ एक उम्दा गुणवत्ता की MRI मशीन करीब 1 करोड़ की आती है।

और ये चीन जापान कोरिया जैसे देशो से आयात की जाती हैं

खराब होने पर या तो मशीन चाइना जायेगी
या वहां से टीम यहाँ आएगी इसकी मरम्मत का खर्च लगभग लाखो में आएगा।

अब ये जानकर आपको अमृतानंद की अनुभूति होगी कि 3600 करोड़ की शिवाजी की मूर्ती

और लगभग 2100 करोड़ की सरदार पटेल की मूर्ति क्रमश: मुंबई और गुजरात में बन रही हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं है ये दोनों हमारे गौरव थे हैं सदा रहेंगे।

इनका मोल इन पैसो से कहीं बढ़कर था।

लेकिन ये भी होते तो कहते कि "अस्पताल बनाओ

जरुरी व्यवस्था उपलब्ध कराओ उनकी जरुरत की चीजे बनाओ।"

ज्यादा दूर न जाकर नजदीक आते हैं

मेट्रो के अगले चरण में कुल 4 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
भामाशाह योजना में अब तक करीब हजार करोड़ से अधिक का खर्च हो चूका है।

और ये उक्त सभी प्रोजेक्ट अपनी अपनी जगह ठीक हैं।
लेकिन प्राथमिकताए जैसे रोटी कपडा मकान स्वस्थ्य पीने का पानी ये तो पूरी हों।

सबसे बड़े अस्पताल में कम से कम 10 MRI मशीन हो जाए तो किसका क्या बिगड़ जाएगा ?

मेक इन इंडिया के तहत यहाँ ऐसी जरुरत की चीजे बनने सुधरने लगेंगी तो किसका क्या बिगड़ जाएगा ?

लेकिन नहीं !!
हमें सबसे ज्यादा जरुरत अभी 36 राफेल लड़ाकू विमानों की है जिनकी कीमत करीब 36000 करोड़ होगी।

आपके ये जानकर होश फाक्ता हो जायेंगे कि
जो एक MRI मशीन SMS में लगी हुई है
वो भी प्राइवेट अस्पताल मणिपाल की लगाईं हुई है।

आखिर में वो बिलखता हुआ बाप स्ट्रेचर पे लेटे हुए अपने बच्चे को रोते हुए बाहर ले गया।

शायद हिम्मत टूट गयी थी उसकी या उस बच्चे की साँसे !! :'(

लेकिन रोज मोत देखने वाले अस्पताल की संवेदनाये तो मर चुकी थी

उन्हें क्या फर्क पड़ता है कि कोई मरे या जिए

आज दान की जरूरत मंदिरो से ज्यादा अस्पतालों को है

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A father was giving comfort to his son while trying to break the stretcher

"Son, I am not all right.

Just enough to be your MRI
Then the doctor started your treatment ..... "

Before that unfortunate father could complete his talk, his son, who was on the stretcher, had a terrible attack before that.

Leaving the talk in between, he started pausing on his back.

Seeing his son's son, his eyes were dripping, 6 feet tall, his body was long

But seeing the plight of his son, all his mal melts.

Children's crying started crying.

He hoped that soon his son would become MRI.
Then he will know the disease and his work will be done.

Why not? The largest hospital in Rajasthan who came in the SMS came with all the hope.

But his number did not come from last 1 hour.
How come?

What was the crowd of people who used to make MRI in advance.
An MRI takes about half an hour.
And 50 insensitive people sat on the line before it.

And even if the machine runs for 24 hours, its number may still be 2 days.

Of Jaipur
Or say Rajasthan's largest hospital !!

Gift given to Sawai Mansingh ji to Rajasthan !!

Les Hospital from the renowned experts of the country !!

But here's just an MRI machine !!!

The second machine is screwed.
Which will be sent to China to improve

We are in 21st century

The speed of our GDP is defeating all the countries.

We sent the cheapest Mars plane to space.

Each month, our ISRO is establishing a new record every week.

We are going to get a membership of the Nuclear missile group.

We are making light fighter aircraft like Tejas.
The pandubs are made.

But in our hospitals there are no Xray machines

There are no MRI machines.

How will it be?

There is no technology to make MRI machine here

Nor is there any technique to repair it when it is bad.

Let me tell you a great quality of MRI machine of about 10 million.

And these are imported from countries like China Japan Korea

If bad, either the machine will be china
Or from there the team will come here, the cost of repairs will be in lakhs.

Knowing now, you will feel like Amritanand, that the idol of Shivaji worth 3600 crore

And about 2100 crore Sardar Patel's statue is being built in Mumbai and Gujarat, respectively.

There are no two opinions in it. Both of these are our pride and will remain forever.

Their value was far more than these money.

But if they were, they would say, "Make a hospital

Make the necessary arrangements for their needs. "

Come too close and not too far

In the next phase of the Metro, a total of 4 thousand crores will be spent.
The Bamashah scheme has so far spent more than Rs. 1000 crores.

And these above mentioned projects are fine in their own places.
But priorities like roti kapada house healthy drinking water should be complete.

If there is at least 10 MRI machines in the largest hospital, what will be deteriorated?

Under the make in India, things like this need to be improved, then what will get worse?

But not !!
We need the most of the 36 Rafale fighter now, which costs around 36,000 million.

Knowing that you will become conscious
An MRI machine is engaged in SMS
He is also involved in the private hospital Manipal.

In the end, she was flung, the father took her child lying on the stretcher and cried out.

Perhaps the courage was broken by his or her child's breath! : '(

But the death of the hospital seeing the death was dead.

What difference does it make to someone who died or died?

Today donations need more hospitals than the temples

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Nation is dangerously in a new track

मीडिया में कुछ भी नहीं दिख रहा है, यह आपका कर्तव्य है कि दूसरे लोगों को बताएं ...
Nation is dangerously in New Track

Here are the reasons :

1- Jet Airways closed,

2- Air India in terrible loss,

3- BSNL's 54,000 jobs are in danger,

4- HAL does not have money to pay salaries,

5-
Post department losses of 15000 crores,

6- Videocon bankruptcy,

7- Tata Docomo perished,

8- Aircel perished,

9- JP Group Finishes,

10- Worst performance of ONGC till now,

11- The country's 36 largest debtors are missing from the country,

12- Big loan apology to 35 million crores,

13- PNB Crisp,

14- Other banks also suffered huge losses,

15- Debt on the country is $ 131100 million,

16- Railway sales,

17- Rent All Heritage including Red Fort,

18- Millions of people unemployed after note ban,

19- 45 years biggest unemployment rate,

20- Three times more martyrs than the previous government,

21- Five airports sold to Adani,

22- Recession in domestic consumption,

23- country's largest car maker maruti cuts production,

24- Rs. 55000 crore car inventory is lying at the factories and car distributors, no buyers,

25- Builders all over India are stressed out some of them committing Suicide, due to no buyers   purchasing flats in huge Towers, Construction Stopped due to Material cost rise etc. with GST @ 18% to 28%...,

26- 80% Indians are living in Stress due to Indian Government Policies

https://www.anxietyattak.com/2019/07/nation-is-dangerously-in-new-track.html

We made you Aware !

Note : Nothing is showing  in media, this is your duty to let other people know...

नए ट्रैक में राष्ट्र खतरनाक है।



यहाँ कारण हैं:



1- जेट एयरवेज बंद,



2- भयानक घाटे में एयर इंडिया,



3- बीएसएनएल की 54,000 नौकरियां खतरे में,



4- HAL के पास तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं हैं,



5- 15000 करोड़ का डाक विभाग का घाटा,



6- वीडियोकॉन दिवालियापन,



7- टाटा डोकोमो ने पूरा किया,



8- एयरसेल को ख़त्म,



9- जेपी ग्रुप फाइनल



10- अब तक ओएनजीसी का सबसे खराब प्रदर्शन,



11- देश के 36 सबसे बड़े कर्जदार देश से गायब हैं,



12- 35 मिलियन करोड़ का बड़ा ऋण माफी,



13- पीएनबी क्रिस्प,



14- अन्य बैंकों को भी भारी नुकसान हुआ,



15- देश पर ऋण $ 131100 मिलियन है,



16- रेलवे की बिक्री,



17- लाल किला सहित सभी धरोहरों को किराए पर दें,



18- नोटबंदी के बाद लाखों लोग बेरोजगार,



19- 45 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी दर,



20- पिछली सरकार की तुलना में तीन गुना अधिक शहीद,



21- अडानी को बेचे गए पांच हवाई अड्डे,



22- घरेलू खपत में मंदी,



23- देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति ने उत्पादन में कटौती की,



24- रु। 55000 करोड़ की कार सूची कारखानों और कार वितरकों, कोई खरीदारों, पर पड़ी है।



25- पूरे भारत में बिल्डर्स को आत्महत्या करने पर जोर दिया जाता है, कोई खरीदार नहीं होने के कारण विशाल टावर्स में फ्लैटों की खरीद करता है, जीएसटी @ 18% से 28% के साथ सामग्री लागत वृद्धि आदि के कारण निर्माण बंद हो जाता है ...

26- भारत सरकार की नीतियों के कारण 80% भारतीय तनाव में रह रहे हैं

हमने आपको अवगत कराया!

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मीडिया में कुछ भी नहीं दिख रहा है, यह आपका कर्तव्य है कि दूसरे लोगों को बताएं ...

Wait and Go

संसार में जन्म लेने के लिए माँ के गर्भ में 9 महीने रुक सकते है।
चलने के लिए 2 वर्ष,
स्कूल में प्रवेश के लिए 3 वर्ष,
मतदान के लिए 18 वर्ष,
नौकरी के लिए 22 वर्ष ,
शादी के लिये 25 -30 वर्ष,
इस तरह अनेक मौकों के लिए हम इंतजार करते है। लेकिन,,,,,,
गाड़ी ओवरटेक करते समय 30 सेकंड भी नही रुकते,,,,।।
बाद में एक्सीडेंट होने के बाद जिन्दा रहे तो एक्सीडेंट निपटाने के लिए कई घण्टे, हॉस्पिटल में कई दिन, महीने या साल निकाल देते है।
कुछ सेकंड की गड़बड़ी कितना भयंकर परिणाम ला सकती है। जाने वाले चलें जाते हैं , पीछे वालों का क्या! इस पर विचार किया, कभी किया नहीं ।
फिर हर बार की तरह, सिर्फ नियति को ही दोष ।।
इसलिये सही रफ्तार, सही दिशा में व वाहन संभल कर चलायें सुरक्षित पहुंचे।
आपका अपना मासूम परिवार आपका घर पर इंतजार कर रहा है।


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आप  से निवेदन है इसे आगे फैलाने में मदद करें।क्या पता 1% लोग भी मेरे विचार से सहमत हो तो उनकी ज़िन्दगी बच जाए।😊🙏



"आयुष्मान भारत" लागू होने के बावजूद बच्चे मर रहे हैं

"फसल बीमा" के बावजूद किसानों की सुसाइड थम नहीं रही

9.5 करोड़ लोगों को "मुद्रा-लोन" देने के बावजूद बेरोजगारी 45 साल का रेकॉर्ड तोड़ गई

खैऱ छोड़िए ये सब कौन बताएगा कौन दिखायेगा? हिंदू मुस्लिम कीजिए, खुश रहिए, स्वास्थ्य रहिए😠

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