Wife

पत्नी की फटकार का महत्व- 👩

पत्नी की फटकार सुनी जब,
तुलसी भागे छोड़ मकान।
राम चरित मानस रच डाला,
जग में बन गए भक्त महान।।

             पत्नी छोड़ भगे थे जो जो,
             वही बने विद्वान महान।
             गौतम बुद्ध महावीर तीर्थंकर,
             पत्नी छोड़ बने भगवान।।

पत्नी छोड़ जो भागे मोदी
हुए आज हैं पंत प्रधान।।
अडवाणी ना छोड़ सके तो,
देख अभी तक हैं परेशान।।

             नहीं कि है शादी पप्पू ने,
             नहीं सुनी पत्नी की तान।
             इसीलिए फिरते है भटकते,
             बन न सके राजनेता महान।।

हम भी पत्नी छोड़ न पाए,
इसीलिए तो हैं परेशान।
पत्नी छोड़ बनो सन्यासी,
पाओ मोक्ष और निर्वाण।।

(हास्य कविता का आनन्द लिजिये....)

 रिस्क केवल अपने दम 💪पर ही लें....

😜😜😜😜😜😁😁😁😁😂😅😂😂


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Application Letter

प्रार्थना-पत्र
सेवा में , 
            श्रीमति पत्नी देवी जी !
महोदया ! 
              जैसा कि आपको विदित है कि दिनांक 1/2 मार्च को होली का त्यौहार है 
        इस त्यौहार पर मेरे पियक्कड़ दोस्त मेरे साथ होली खेलने आयेंगे ही । आपकी अनुकम्पा से ही मैं दारू पीकर उनके साथ होली खेल सकता हूँ । 
        
अतः प्रार्थना है कि अपना दुर्गा व काली का रूप त्याग कर लक्ष्मी व सरस्वती बनकर मुझ पर कृपा बरसाते हुए चार बोतल दारू खरीदने व खुलकर पीने की अनुमति देने की कृपा करें ।

         
आपका सेवक/निरीह प्राणी
                    
आपका पति ।

( बुरा ना मानो. होली है. ,)

Wish

किसी को कुछ दिखाना मेरा  मकसद नहीं ,
बस अपना अनुभव व्यक्त करना चाहती हूँ ,

मैंने जिस मोड़ पर चोट खायी ,
उन रास्तों से आगाह करवाना चाहती हूँ |

वो चुभन ,जो मैंने महसूस की , 
वो किसी और के जीवन में न आएं ,
जिस ओर तुम बढ़ो ,मंज़िलें तुम्हे मिलती चली जाएं |

हाँ ,ठोकर तो लगेगी ,
तभी तुम्हे सीख मिलेगी ,

लेकिन में चाहती हूँ ,
मेरा लेख पढ़कर ही तुम्हे वो दर्द दिख जाए ,
कभी गिरकर उठो ,फिर सम्भलो ,
वो  वक़्त तुम्हारा ,तुम्हारे हाथ से न चला जाये |

जीवन के इस खेल में ,मैंने देखें है कई खिलाडी ,
जो आसमान छूने की ताकत रखते  थे ,
पर रह गए वो अनाड़ी|

कहीं तुम्हारी जीवन की गाड़ी का पहिया भी ,
यूँ न पलट जाए ,
कि ,तुम उलझ जाओ परेशानियों में ,
कोई और उस जगह बैठकर ,रफ़्तार में आगे न निकल जाये |

बस मैंने एक इशारा किया है ,
तुम्हारे सामने वो नज़ारा दिया  है ,
गहराईयों में डूबकर समझना इसको ,
मैंने कठनाइयों के बड़े  से समंदर में ,
एक छोटा सा किनारा दिया है |

किसी को कुछ दिखाना मेरा मकसद नहीं ,
बस तुम्हारे लिए कुछ करना चाहती हूँ ,
ये तुम्हारे काम आया तो बहुत सही ,
नहीं तो ,
अब इससे भी अच्छा कुछ सुन्ना चाहती हूँ |


By

SriDevi Ji Things that Sridevi’s Untimely Death Teaches us:

SRIDEVI
Very diet conscious
Never ate junk food
Not even masala dosa
Exercised 2 hrs daily.
Fully disciplined lifestyle

Dies at 54.

Kushwant Singh
Drank whisky everyday
Fond of butter chicken
Had erratic day schedule during his career

Died at 99

Any lesson to be learnt ?

जिंदगी औऱ मौत
ऊपरवाले के हाथ में
है जहाँपनाह😳😳👍



श्रीदेवी नियमित रूप से 2 घंटे वॉक करती थी...
कितनी फ़ीट थी....
फिर भी 54 वर्ष में कोई बीमारी ना होते हुए भी चली गयी...
इसलिये ख़ूब खाइये , मस्त रहिये...
पार्टी करते रहिये...
Exercise भी करिये...
जिस दिन जाना होगा , उसी दिन जायेंगे...

Things that Sridevi’s Untimely Death Teaches us:

• Life is unpredictable
• Life is too short for egos in relationships
• Make the most of your time, say what you want to or you may never get to
• Nobody should be taken for granted
• Strongest women have the weakest hearts

Pleasure in the Job puts Perfection in the Work

एक दिन मैं घर के बाहर बड़े तन्मयता से  गाड़ीयां धो रही थी। साईकल पर जाता हुआ एक माली रुका और मुझसे पूछा, "कुछ पौधे वगैरह चाहिये?"
मैंने कहा,"चाहियें तो"
उसने कहा,"अपनी मैडम को बुला दो उनसे ही बात करूंगा"
मैंने अंदर जाकर कपड़े बदले और बाहर आकर कहा,"मैं ही मैडम हूँ, पौधे दिखाओ"
वो बेचारा शर्म से पानी पानी हो गया और  माफी मांगने लगा।
कसूर उसका नही था!

अक्सर बड़े घरों व बड़ी गाड़ियों में चलने वालों के घर नौकरों की पलटन होती हैं। ऐसे में कोई सोच भी नही सकता की जिनके घर में कई गाड़ियां खड़ी हों और इतना बड़ा घर हो वो लोग अपना काम खुद भी करते होंगे।

अक्सर जान पहचान वाले लोग कहते हैं कि नौकर क्यों नही लगा लेती?
तो मैं उनसे पूछती हूँ कि क्या उन्हें मैं लूली,लंगड़ी या अपाहिज नज़र आती हूँ?
यदि नही!तो फिर मैं अपना काम खुद क्यों नही कर सकती!

 यदि मुझमे अपने काम खुद करने की सामर्थ्य है तो मैं वही काम नौकर से क्यों कराऊँ?

कभी कभी मैं हैरान होती हूँ कि एक कामकाजी महिला होने के बाद भी मैं अपने सारे घर का काम खुद करना पसंद करती हूँ।

2 मंज़िल के घर की सफाई,वृहद बगीचा...

लेकिन घर के झाड़ू पोचे से लेकर गार्डन की सफाई, गाड़ियों को धोना साफ करना,हर तरह का खाना बनाना,साग सब्जी लाना, कपड़े खुद धोना इस्त्री करने से लेकर बर्तन धोने और गमले पेड़ पौधे लगाने का काम भी बड़ी ही सरलता से कर लेती हूँ।

दिन में 100-200 km गाड़ी भी चला लेती हूँ,गोल्फ खेलती हूँ,5km वॉक करती हूँ।समय मिले तो पढ़ती लिखती भी हूँ ...

तो फिर हमारी वो गृहणियाँ जो नौकरी भी नही करती,आफिस नही जाती उन्हें अपने ढाई कमरों के घर साफ कराने ,चार बर्तन धोने और 8 रोटी सेकने के लिए नौकर क्यों चाहिये?

जो अंग्रेजों नौकरशाही का कोढ़ हमारे समाज में फैला कर चले गए उनके अपने देशों में घरेलू नौकर रखने का कोई रिवाज़ नही है।वहां वो लोग अपना सारा काम खुद करते हैं। लेकिन हमारे यहाँ अपने घर का काम खुद करने मे शर्म आती है,क्यो?

हमारी गृहणियों को भी जिनके पति सवेरे आफिस चले जाते हैं और शाम को घर लौटते हैं अपने 10 x 10 के कमरे साफ कराने के लिये महरी चाहिए?

मेरे अभिजात्य दोस्त लोगों में जिनकी बीबियाँ हर हफ्ते पार्लर जाती हैं उन्हें वज़न घटाने के लिए सलाद के पत्ते खाना मंज़ूर है!! Gym में घण्टो ट्रेड मिल पर हांफना मंज़ूर है, लेकिन अपने घर मे एक गिलास पानी लाने के लिए नौकर चाहिए।

जो नौकरानियां हमारे घरों को साफ करने आती हैं उनके भी परिवार होते हैं बच्चे होते हैं ,ना उनके घरों में कोई खाना बनाने आता है ना ही कोई कपड़े धोने तो फिर जब वो इतने घरों का काम करके अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभा लेती हैं तो हम अपने परिवार का पालन पोषण करने में क्यों थक जाते हैं?

दरअसल हमारे यहाँ काम को सिर्फ बोझ समझा जाता है चाहे वो नौकरी में हो निजी जिंदगी में। जिस देश मे कर्मप्रधान गीता की व्यख्या इतने व्यपक स्तर पर होती है वहाँ कर्महीनता से समाज सराबोर है।हम काम मे मज़ा नही ढूंढते, सीखने का आनंद नही जानते,कुशलता का फायदा नही उठाते!

हम अपने घर नौकरों से साफ कराते हैं!

झूठे बर्तन किसी से धुलवाते हैं!

कपड़े धोबी से प्रेस करवाते हैं!

खाना कुक से बनवाते हैं!

बच्चे आया से पलवाते हैँ!

 गाड़ी ड्राइवर से धुलवाते हैं!

बगीचा माली से लगवाते हैं!

तो फिर अपने घर के लिये हम क्या करते हैं? 

कितने शर्म की बात है एक दिन अगर महरी छुट्टी कर जाये तो कोहराम मच जाता है, फ़ोन करके अडोस पड़ोस में पूछा जाता है।

जिस दिन खाना बनाने वाली ना आये तो  होटल से आर्डर होता है या फिर मेग्गी बनता है।

 घरेलू नौकर अगर साल में एक बार छुट्टी मांगता है तो हमे बुखार चढ़ जाता है। होली दिवाली व त्योहारों पर भी हम नौकर को छुट्टी देने से कतराते हैं!

 जो महिलाएं नौकरीपेशा हैं उनका नौकर रखना वाज़िब बनता है किंतु जो महिलाएँ सिर्फ घर रहकर अपना समय TV देखने या FB और Whats App करने में बिताती हैं उन्हें भी हर काम के लिए नौकर चाहिये? 

सिर्फ इसलिए क्योंकी वो पैसा देकर काम करा सकती हैं? लेकिन बदले में कितनी बीमारियों को दावत देती हैं शायद ये वो नही जानती। 

आज 35 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को ब्लड प्रेशर ,मधुमेह, घुटनों के दर्द,कोलेस्ट्रॉल, थायरॉइड जैसी बीमारियां घेर लेती हैं जिसकी वजह सिर्फ और सिर्फ लाइफस्टाइल है।

यदि 2 घण्टे घर की सफाई की जाये तो 320 कैलोरी खर्च होती हैं, 45 मिनट बगीचे में काम करने से 170 कैलोरी खर्च होती हैं, एक गाड़ी की सफाई करने में 67 कैलोरी खर्च होती है,खिड़की दरवाजो को पोंछने से कंधे,हाथ, पीठ व पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं,आटा गूंधने से हाथों में आर्थ्राइटिस नही आता। कपड़े निचोड़ने से कलाई व हाथ की मानपेशियाँ मजबूत होती हैं,20 मिनट तक रोटियां बेलने से फ्रोजन शोल्डर होने की संभावना कम हो जाती है, ज़मीन पर बैठकर काम करने से घुटने जल्दी खराब नही होते।

लेकिन हम इन सबकी ज़िम्मेदारी नौकर पर छोड़कर खुद डॉक्टरों से दोस्ती कर लेते हैँ। फिर शुरू होती है खाने मे परहेज़, टहलना,जिम, या फिर सर्जरी!!

कितना आसान है इन सबसे पीछा छुड़ाना कि हम अपने घर के काम करें और स्वस्थ रहे।मैंने आजतक नही सुना की घर का काम करने से कोई मर गया हो!

लेकिन हम मध्यम व उच्च वर्ग घर के काम को करना शर्म समझते हैं। नौकर ज़रूरत के लिए कम स्टेटस के लिए ज्यादा रखा जाता है। काम ना करके अनजाने में ही हम अपने शरीर के दुश्मन हो जाते हैँ।

पश्चिमी देशों में अमीर से अमीर लोग भी अपना सारा काम खुद करते हैं और इसमें उन्हें कोई शर्म नही लगती। लेकिन हम मर जायेंगे पर काम नही करेंगे।

किसी भी तरह की निर्भरता कष्ट का कारण होती है फिर वो चाहे शारीरिक हो ,भौतिक हो या मानसिक। अपने काम दूसरों से करवा करवा कर हम स्वयं को मानसिक व शारीरिक रूप से पंगु बना लेते हैं और नौकर ना होने के स्थिति में असहाय महसूस करते हैं।ये एक दुखद स्थिति है। 

यदि हम काम को बोझ ना समझ के उसका आंनद ले तो वो बोझ नही बल्कि एक दिलचस्प एक्टिविटी लगेगा। Gym से ज्यादा बोरिंग कोई जगह नही उसी की जगह जब आप अपने घर को रगड़ कर साफ करते हैं तो शरीर से एंडोर्फिन हारमोन निकलता है जो आपको अपनी मेहनत का फल देखकर खुशी की अनुभूति देता है।

अच्छा खाना बनाकर दूसरों को खिलाने से सेरोटॉनिन हार्मोननिकलता है जो तनाव दूर करता है।

जब काम करने के इतने फायदे हैं तो फिर ये मौके क्यो छोड़े जायें!

हम अपना काम स्वयं करके ना सिर्फ शरीर बचाते है बल्कि पैसे भी बचाते हैं और निर्भरता से बचते हैं।

Pleasure in the Job puts Perfection in the Work
















Who Am I

हे पार्थ!  

मै ऋषियों मे 'आसाराम' हूँ! 

 संतो मे 'रामरहीम' हूँ!  

चोरों मे 'विजय माल्या' हूँ!  

अमीरों मे 'मुकेश अम्बानी' हूँ! 

 स्थानों मे 'गोधरा' हूँ! 

 शब्दों मे 'मित्रो' हूँ! 

 हिन्दुओं मे 'राममन्दिर' हूँ! 

 मुसलमानों मे 'तीन तलाक' हूँ!  

यूपी मे 'गंगा का बेटा' हूँ! 

 गुजरात मे 'पटेल का चेला' हूँ!  

महाराष्ट्र मे 'शिवाजी का शिष्य' हूँ!  

देवों मे 'बाबा रामदेव' हूँ! 

 सिंहों मे 'गिरिराज सिंह' हूँ! 

 कानूनों मे 'नोटबन्दी' हूँ! 

 रंगो मे 'भगवा' हूँ! 

 टैक्सो मे 'GST' हूँ!  

मशीनों मे 'EVM' हूँ!  

वकीलों मे 'सुब्रमण्यम स्वामी' हूँ!

  वक्ताओं मे 'संबित पात्रा' हूँ! 

 ऐंकरों मे 'सुधीर चौधरी' हूँ! 


 चैनलों मे 'ZEE NEWS' हूँ!  

हे महाबाहो!  मै कहने को तो 'विकास' हूँ, 

पर वास्तव मे —�-

           मै ही 'पकौड़ा' हूँ

RIP Sri Devi Ji



हर नफ्स को मौत का ज़ायका चखना है

मगर श्रीदेवी जी तुम्हारा यूं जाना दुखी कर गया। तुम वो एक्ट्रेस थीं, जिनके साथ सेल्फी लेना चाहता था। एक डायरी में ऑटोग्राफ रखना चाहता था

मुझे याद है जब मैं पांचवीं क्लास में था तो उम्र महज 9 साल थी। तब अखबारों में कैलेंडर छपता था। उस कैलेंडर के साथ पूरे एक पेज पर हीरोइन की तस्वीर छपती थी। तब एक बार तुम्हारी तस्वीर भी छपी थी। मेरे घर अखबार भी नहीं आता था। मोहल्ले से वो सारे अखबार समेट लाया था

जिसमें तुम छपी थीं। जिस पन्ने पर तुम थीं, अखबार के उन पन्ने को निकालकर कई सालों तक सहेजकर रखा था

तुम्हारी आंखें नमकीन समुंदर की मानिंद। शफ़्फ़ाफ़ चेहरा। लगता था आंखों को ज्यादा देर देखा तो वो सफ़्फ़ाक बन जाएंगी। 
मेरे नानी के घर एक भैंस और दो कटिया थीं, उनको चराने पास के कब्रिस्तान ले जाता था। भैंस चराने के दौरान मैं होता था, तुम्हारी फिल्मों के गाने होते थे। 

ऐ जिंदगी गले लगा ले, 
हमने भी तेरे हर एक गम को गले लगाया है, है ना

कई बार तो ऐसा हुआ कि तुम्हारे बारे में ख्याली फिल्म बुनते-बुनते, कब सुबह से दोपहर हो गई और कब दोपहर से शाम पता नहीं चला। घर वाले कहते इसे तो बस भैंसे चराने पर छोड़ दो। भैंसे चरती थीं और मैं तुम्हारे गाने गुनगुनाता था। और लोग भी भैंस चराने आते थे, मगर मैं उनसे अलग बैठ जाता था। या भैंस को तालाब में ले जाने की बात कहकर उन लोगों से दूर ले जाता था। ये अक्सर होता था। तुम्हारे इश्क़ की गिरफ्तारी का असर था

उस लड़कपन में दो मौके ऐसे भी आए जब तुम्हारे लिए मार भी खाई। 
पहला मौका था जब अखबार वाला तुम्हारा पोस्टर अपनी होमवर्क वाली काॅपी पर जिल्द की तरह चढ़ा लिया था, कि तुम मेरे साथ रहोगी। मास्टर साब उस जिल्द को देखकर बुरी तरह गुस्सिया गए। 
पता नहीं तुम्हारे पोस्टर ने उनपर क्या बिजली गिराई थी कि उन्होंने गंगाराम (डंडे को वो गंगाराम कहते थे) उठाया और धुनाई कर दी। 

हाथ सुर्ख हो गए। तशरीफ भी सुजा दी। और मास्टर साब ने क्लास में ऐलान किया कि कोई भी अपनी काॅपी किताबों पर अखबार नहीं चढ़ाएगा, बल्कि दुकान से जिल्द वाला पेपर खरीद कर चढ़ाएगा। पढ़ने आते हो या अखबार की अधनंगी तस्वीरें देखने। तब मैं बहुत रोया था, इसलिए नहीं कि मेरी पिटाई हुई थी बल्कि इसलिए क्योंकि तुम्हारा पोस्टर उस जल्लाद मास्टर ने फाड़ दिया था। 

दूसरी बार पिटाई तब हुई जब मैंने तुम्हारी "जुदाई" देखी। शुक्रवार को दूरदर्शन पर 9 बजे तुम्हारी फिल्म आनी थी। घर पर टीवी नहीं था। गांव में लाइट की भी दिक्कत थी पता किया कहां बैट्री का इंतजाम होगा ताकि फिल्म देखी जा सके। पड़ोस में टीवी था, लेकिन बैट्री नहीं थी। तो पड़ोस से थोड़ा दूर एक घर में रात में फिल्म देखने चला गया। अपने घर पर नहीं बताया था। घर वाले ढूंढते फिरे। और जब घर वालों को पता चला तो घर वाले वहीं पहुंच गए। मारते हुए घर वापस ले आए। इस बार फिर खूब रोया, फिल्म जो नहीं देख पाया था। 

सुबह में चाय नहीं पी। गुस्से में स्कूल नहीं गया। 
पहली बार मुझे बाॅलीवुड की किसी हस्ती की मौत पर इतना दुख हुआ। काश ये कार्डियक अरेस्ट एक फिल्मी सीन होता। और तुम उठकर मौत के फरिश्ते से कहतीं, 'किसी के हाथ न आएगी ये लड़की

तुम हवा हवाई थीं, 'चांदनी' थीं, 'नगीना' थीं, जिनपर 'निगाहें' नाज़ करती थीं काश वो 'लम्हें' ठहर जाते तो मौत का "सदमा" न लगता। 'खुदा गवाह' है तुम्हारी 'जुदाई' ने 'घर संसार' को दुखी कर दिया। काश तुम 'चालबाज' 'कलाकार' होतीं और मौत को 'गुमराह' करके 'मिस्टर इंडिया' की तरह आतीं।

...छोटा सा साया था आंखों में आया था 
हमने दो बूंदों से मन भर लिया
हमको किनारा मिल गया है जिंदगी.... ऐ जिंदगी गले...


सच में तुम्हें किनारा मिल गया है श्रीदेवी, 

और जिंदगी ने तुम्हें गले भी लगा लिया है। 


अलविदा मिस हवा हवाई

 भाई कोई शेयर ना करना दिल दुख रहा 


Q

आज बैठे बैठे अचानक मन में विचार आया, आप भी एक बार विचार जरूर कीजिएगा...


अलग गोरखालैंड की मांग करने वाला
"गोरखा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।
आज़ाद नागालैंड की मांग करने वाला
"नागा जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।
आज़ाद कश्मीर की मांग करने वाली
"पीडीपी" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।
आज़ाद खालिस्तान की मांग करने वाला
"अकाली दल" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।
केवल मराठियों के लिए महाराष्ट्र की मांग करने वाली "शिवसेना" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।
अलग बोडोलैंड की मांग करने वाला
"बोडो जनमुक्ति मोर्चा" का गठबंधन बीजेपी के साथ है।

त्रिपुरा में होने वाली विधानसभा चुनाव में गठबंधन "त्रिपुरा को देश से अलग करने की मांग रखने वाली उग्रवादी संगठन NLFT के साथ गठबंधन"!

वाह, फिर भी भाजपा देशभक्त !

नोट:- यह भक्तो के लिए नहीं है, क्योंकि उनका मानसिक साफ्टवेयर ऐसी चीजों को अस्वीकार कर देता है।।

Ask

जनता का ध्यान भटकाने के लिए जितनी भी नौटंकी कर लो।। जितना भी केजरीवाल पर रेड कर लो पर समझदार जनता तो फिर भी पूछेगी..

.नीरव को किसने भगाया?...

. राफेल डील में क्या हुआ???... 

जस्टिस लोया को किसने मारा??...

और तो और....
1- कितने करोड़ युवाओं को रोजगार दिया?
2- गंगा मैया कितनी साफ हुई?
3- बुलेट ट्रेन के कितने कोच तैयार हुए?
4- मेक इन इंडिया का क्या परिणाम रहा?
5- कितने दागी नेता जेल गए?
6- धारा 370 पर क्या हुआ ?
.
7- कितने कश्मीरी पंडितों का घर मिला?
8- डीजल पेट्रोल कितना सस्ता हुआ?
9- मंहगाई कितनी कम हुई?
10- आम जनता के लिए क्या किया?
11- लाहौर और करांची पर कहाँ तक कब्जा किया?
12- सेना को कितनी छूट मिली?
.
13- चीन थर-थर कांपा क्या?
14- देश ईमानदार देशों की श्रेणी में आ गया?
15- स्टार्ट-अप इंडिया का क्या हाल है?
16- जवानों का खाना सुधरा क्या?
17- बिहार को 175 लाख करोड़ का पैकेज मिला?
18- अलगाववादी नेताओं की सुविधाएं बंद की क्या?
19- मोदी के विदेशी दौरों से क्या मिला?
20- राम मन्दिर बना क्या?
21- गुलाबी क्रांति गौ हत्या रुकी क्या?
22- डॉलर का मूल्य रूपये के मुकाबले कितना कम हुआ?
23- कितने स्मार्ट सिटी तैयार हो गये?
24- सांसद आदर्श ग्राम योजना में कितने गाँव खुशहाल हुए?
25- महिलाओं पर अत्याचार रुक गया क्या ?
26- बीफ एक्सपोर्ट में भारत को एक नम्बर किसने बनाया?
27- 100 दिन में विदेशों से काला धन आया क्या?
28- कितने लोगों को 15 लाख मिले ?
29- नोटबन्दी से आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट गई क्या?
30- देश में घूसखोरी बंद हो गई क्या?
31- देश में कितनी खुशहाली आई ?
32- स्वच्छता अभियान कितना सफल रहा ?
33- मुस्लिम आबादी कितनी कम हुई?
34- हिन्दू आबादी कितनी बढ़ी?
35- टैक्स सुधार कितना हुआ?
36- इंस्पेक्टर राज कितना कम हुआ?
37- बैंक का अरबों डकारने वाले कितने पूंजीखोर जेल गए?
38- पार्टी के नाम पर काली कमाई वाले कितने नेता जेल गए?
39 कितने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खुले?
40- हिंदी का उपयोग कितना बढ़ा?
41- सिंचाई की सुविधा कितनी बढ़ी?
42- किसानों की आत्महत्या रुक गई क्या?
43- कितने नए वैज्ञानिक प्रयोग हुए?
44- सबको आवास मिल गया?
45- अदालतों में कितने जज बहाल हुए?
46- भारत कितने दिन में विश्वगुरू बनेगा?
47-कॉमन सिविल कोड लागू हो गया?
48- बलूचिस्तान को भारत में मिला लिया?49- नेपाल से रिश्ते अच्छे हुए, कि ख़राब?
50- देश की इकॉनोमी कैशलेस हो गई?
51- हिन्दू तिथि से नववर्ष को सरकारी मान्यता मिल गई?
52- कितने बंगलादेशी खदेड़े गए?
53- रामसेतु को ऐतिहासिक स्थल बनाया कि नहीं?
54- संसद, विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिला?
55- लोकपाल नियुक्त हुआ या नहीं?
56- कितनी नदियों को जोड़ा गया?
57- तीन तलाक पर रोक लगी या नहीं?
58- प्रॉपर्टी के दाम कितने कम हुए?
59- अच्छे दिन आ गए क्या?

विचार करें और उचित कदम उठांए
जवाब मिलें तो मुझे भी बताइएगा..!!

SBI Cheating

Dr माल्या VM और नीरव मोदी NiMo का पैसा क्या हमसे ही वसूला जाएगा, कोई दोस्त बता सकता है ये सिर्फ मेरे ही साथ हुआ है या आपके PNB / SBI भी इस ही तरह account से पैसे काटे जा रहे हैं,

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I hate God for killing her And I hate Sridevi for dying .

Ram gopal Varma on FB I HATE GOD FOR KILLING SRIDEVI AND I HATE SRIDEVI FOR DYING .

I have a habit of constantly dreaming and waking up every once in a while in the night to check out my cell phone and I suddenly saw a message that Sridevi is no more ..I thought that either it’s a nightmare or a hoax and I went back to sleep ..An hour later I woke up to check and there were around 50 messages informing me of the same 

Back in the times when I was in engineering college in Vijayawada, I happened to see her first telugu film “padaharella vayasu”.. I was awestruck with her Beauty and I walked out of the theatre in a daze thinking that she cannot be a real person and she has to be some fantasy form who somehow has taken a human shape. Then I saw her various other films,all of which constantly created a higher bench mark of both her talent and her beauty ..To me she looked like some being who has come from some other world in the outer space as a favour to bless us for a little while for all the good we might have done in this world . 

She was like a creation of God which he does whenever he is in a very special mood as a very very special gift to mankind.

My journey to Sridevi started when I was preparing for my debut film ‘Shiva’. I used to walk from Nagarjuna’s office in Chennai to a neighbouring street where Sridevi used to live and I used to just stand and watch Sridevi’s house from outside her gate. 
I just couldn’t believe that the goddess of beauty lives in that stupid looking house. I say stupid because I believed that no man made house deserved to house that beauty called SRIDEVI. 
I used to so desperately hope to catch a glimpse of her as she went in or out of her house. But sadly no such thing ever happened.

And then after ‘Shiva’ released and became a big hit,a producer came to me and asked if I was interested in doing a film with Sridevi. I said “Are you mad or what? I will die to just see her, let alone make a film with her!”

He arranged a meeting with her and took me to meet her at that very same house where I used to stand outside the gate and stare. At night we went and as luck would have it there was a power cut in her house. so I was sitting in her living room in candle light along with the producer waiting for the angel to appear and my heart was thumping like mad. 
Her mother told us she was busy packing as she was about to catch a flight to go to Mumbai.

As we were waiting, every once in a while Sridevi was rapidly crossing the living room as she was moving from one room to another room in a rush to finish her packing even as she apologetically smiled at me for the delay. Everytime she was appearing and disappearing in a flash and the director in me started slow motioning her and running her backward and forward for my visual pleasure.

Finally she came and sat in the living room, just said a mandatory few lines that she would very much like to work with me and then she left for Mumbai. I continued talking to her mother with enormous respect and awe because she actually gave birth to Sridevi.

I went back to my place feeling like I was in the seventh heaven. The way Sridevi sat in front of me in the candle light got imprinted in my mind like an exquisite painting and with her image completely filling both my mind and my heart I started writing Kshana Kshanam.

I wrote Kshana Kshanam with the one and only purpose so as to impress Sridevi. Kshana Kshanam was intended by me as a love letter to her.

Throughout the making of Kshana Kshanam,I just couldn’t take my eyes off her charm, her beauty,her personality and her demeanour was a new discovery for me. 
She had an invisible wall around her and she does not let anyone cross that. Behind that wall she maintains her dignity and her self-respect and she never lets anyone inside. 
Also during the course of working with her and observing her technique of acting I began to understand more and more as a director about the nuances of performances and characterizations because for me she formed the epitome of cinematic acting 

Her popularity and stardom had to be seen to be believed. We were shooting for the climax in Nandyal for Kshana Kshanam and the whole town of Nandyal came to a standstill when they came to know that Sridevi was in town. Banks, Govt offices, Schools, Colleges everything in town closed as everyone wanted to see Sridevi.

She stayed in a traveller’s bungalow in Nandyal and at a little distance i was staying in another bungalow. There used to be a crowd of atleast 20,000 people around her bungalow throughout the night just staring at it. There were about 50 tough guys along with a 100 strong police force who used to continuously guard her.

When we were at location we used to know that Sridevi started from her bungalow to come to location because we used to see a column of dust travelling towards us from the distance. The dust was due to the thousands of people running behind her car. I have never seen more of a super star and now she just got extinguished 

Sridevi is the most beautiful and the most sensuous woman,God ever created and I think he creates such exquisite pieces of art like her only once in a thousand years.

Though she is no longer there, we her directors fortunately have her captured as a goddess of beauty in our cameras and our cinematic angel has now just become a divine angel 

I thank God for creating Sridevi and I thank Louis Lumiere for creating the movie camera for giving us an opportunity to contain her forever.

I still can’t believe that she is no more and I am lying in bed writing about my memories of her 

I so hope I am still having a bad dream,but I know I am not 

I hate Sridevi.

I hate her for making me realise that she too is finally only just a human being.

I hate that her heart too has to beat to live.

I hate that,she too has a heart which can just stop like anybody else’s.

I hate that I lived to see the messages informing me of her death

I hate God for killing her 

And I hate Sridevi for dying .

I love you Sri wherever you are… and I will always love you.

                                                                                               ——-   Ram Gopal Varma







I hate God for killing her And I hate Sridevi for dying I love you Sri wherever you are  I will always love you







29 States of India

भारत के 29 राज्यों के
       नाम याद रखने की ट्रिक
तुलसीदास जी के दोहे में

राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।
पंक में उगोहमि अहि के छवि झाउ।।

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रा - राजस्थान      ! पं- पंजाब
म - महाराष्ट्र         ! क- कर्नाटक
ना - नागालैंड       ! मे- मेघालय
म - मणिपुर         ! उ- उत्तराखंड
ज - जम्मू कश्मीर  ! गो- गोवा
प - पश्चिम बंगाल   ! ह- हरियाणा
ते - तेलंगाना         ! मि- मिजोरम
अ - असम      अ- अरुणाचल प्रदेश
त्रि - त्रिपुरा      हि- हिमाचल प्रदेश
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गु - गुजरात         ! बि- बिहार   
सि - सिक्किम     ! झा- झारखंड
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उ - उत्तर प्रदेश    !

भारत के 29 राज्यों के
       नाम याद रखने की ट्रिक
तुलसीदास जी के दोहे में

Smart Mobile Phone

ये मोबाइल यूँ ही हट्टा कट्टा नहीं 
                      
 बहुत कुछ खाया - पीया है इसने  


                 मसलन  

       ये हाथ की घड़ी खा गया  
        ये टॉर्च - लाईटे खा गया  
        ये चिट्ठी पत्रियाँ खा गया  
        ये    किताब    खा  गया
        ये     रेडियो    खा  गया
        ये टेप रिकॉर्डर  खा गया
          ये कैमरा     खा    गया
          ये कैल्क्युलेटर खा गया
       ये  पड़ोस की दोस्ती खा गया  
        ये मेल  - मिलाप खा गया 
          ये हमारा वक्त खा गया  
         ये हमारा सुकून खा गया  
               ये पैसे खा गया
              ये रिश्ते खा गया
            ये यादास्त खा गया
           ये तंदुरूस्ती खा गया
                 कमबख्त 
  इतना कुछ खाकर ही स्मार्ट बना
   बदलती दुनिया का ऐसा असर        
                 होने लगा
   आदमी पागल और फोन स्मार्ट 
                होने लगा 
   जब तक फोन वायर से बंधा था
          इंसान आजाद था
   जब से फोन आजाद हुआ है
     इंसान फोन से बंध गया है
    ऊँगलिया ही निभा रही रिश्ते 
               आजकल
 जुवान से निभाने का वक्त कहाँ है
          सब टच में बिजी है
        पर टच में कोई नहीं है   ।
http://www.anxietyattak.com/2018/02/smart-mobile-phone.html